शनि प्रदोष व्रत कब? जानें प्रदोष व्रत में क्या खाएं क्या न खाएं

 


भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत 4 सितंबर दिन शनिवार को है. शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहते हैं. इस दिन शिव की उपासना करना अति उत्तम होता होगा.


हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का महत्व ठीक उसी तरह से है, जैसा कि एकादशी व्रत का. भादो का महीना चल रहा है. हिंदी पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने का पहला प्रदोष व्रत 4 सितंबर को रखा जाएगा. इस दिन शनिवार है. हिंदू धर्म शास्त्रों में शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है. शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना और आराधना के लिए अति उत्तम होता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना विधि-पूर्वक और नियम बद्ध होकर करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. उनके सारे कष्ट नष्ट होते हैं. पद-प्रतिष्ठा और मान-सम्मान की वृद्धि होती है. आइये जानें शनि प्रदोष व्रत में व्रतधारी को व्रत के दिन क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए, जिससे व्रत का पूरा-पूरा फल व्रतधारी को मिले.

वैसे तो प्रदोष व्रत को निर्जला रखा जाये तो उत्तम फलदायक होता है. परंतु यह व्रत फलाहारी भी रखा जाता है. ऐसे में व्रतधारी को नित्यकर्म, स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. अब भगवान शिव की उपासना के बाद दूध ग्रहण कर सकते हैं. इसके बाद पूरे दिन व्रत का पालन करते हुए शाम को प्रदोष काल में पुनः शिवशंकर और माता पार्वती की विधि-विधान पूर्वक पूजा उपासना करें. तत्पश्चात ही भोजन ग्रहण करें.

जो लोग कमजोर व दुर्बल है, वे दिन में व्रत के दौरान केवल एक बार फलाहार कर सकते हैं. बार –बार फलाहार करके मुंह को झूठा करके व्रत को भंग नहीं करना चाहिए. प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्‍वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है.

शनि प्रदोष व्रत में क्या खाएं?

वैसे तो प्रदोष व्रत को निर्जला रखा जाये तो उत्तम फलदायक होता है. परंतु यह व्रत फलाहारी भी रखा जाता है. ऐसे में व्रतधारी को नित्यकर्म, स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. अब भगवान शिव की उपासना के बाद दूध ग्रहण कर सकते हैं. इसके बाद पूरे दिन व्रत का पालन करते हुए शाम को प्रदोष काल में पुनः शिवशंकर और माता पार्वती की विधि-विधान पूर्वक पूजा उपासना करें. तत्पश्चात ही भोजन ग्रहण करें.

जो लोग कमजोर व दुर्बल है, वे दिन में व्रत के दौरान केवल एक बार फलाहार कर सकते हैं. बार –बार फलाहार करके मुंह को झूठा करके व्रत को भंग नहीं करना चाहिए. प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्‍वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है.



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