प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा

संपादकीय :-

अपने अभेद्य आसमानी किले के माध्यम से तेरह घण्टों की अनवरत यात्रा कर भरतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी अपनी 22.9.2021 से 25.9.2021 तक की तीन दिवसीय यात्रा पर अमेरिका पहुंचे। ज्ञातब्य हो कि बोइंग 777 - 300 ईआर सीरीज का यह आधुनिकतम  विमान जो 'एयर इंडिया वन 'के नाम से विख्यात है, जिसमें दुश्मन देश के राडार, मिसाईल हमले को नाकाम करने कि क्षमता के साथ सैटेलाइट फोन से पूरी दुनिया से हमेशा सम्पर्क में रहने की विशेषता भी है इसके साथ ही यह तमाम और खूबियों से परिपूर्ण है। इससे पूर्व वीवीआईपी द्वारा प्रयोग में आने वाले विमान से जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में रुकर ईंधन लेना होता था फिर आगे की यात्रा होती थी। भारत मे इस विमान का संचालन अधिकार भारतीय वायु सेना के पास है। उनका ट्यूटर के माध्यम से यह संदेश कि 'लम्बी उड़ान का मतलब कुछ पेपर और फ़ाइल वर्क करने का अवसर भी होता है' जो उनकी चिर परिचित कार्य शैली के अनुकल है। वह जब भी विदेश यात्रा पर होते हैं तो प्रधानमंत्री कार्यालय की जरूरी फाइलों को साथ लेकर चलते हैं ताकि वह अपना कार्य समय से पूरा कर सकें और यात्रा उनके कार्य में बाधक सिद्ध न हो साथ ही साथ वह विदेश यात्रा हेतु अक्शर रात्रिकाल का चयन करते हैं जिससे यथा सम्भव दौरे के खर्च को कम किया जा सके और होटल की जगह वह यथासंभव रात्रि अपने विमान की यात्रा में व्यतीत करने के पक्षधर रहे हैं। 

प्रधानमंत्री की यह विदेश यात्रा ऐतिहासिक कोरोना संक्रमण काल के कारण 2019 के लम्बे अंतराल के बाद हूई है। इससे पूर्व 2019  में अमेरिकी यात्रा में डोनाल्ड ट्रम्प ने इनके स्वागत हेतु 'हाउडी मोदी' नामक भव्य कार्यक्रम रखा था, यह अलग बात है कि, उक्त समय मे वहाँ राष्ट्रपति का चुनाव प्रचार अभियान भी परवान चढ़ रहा था। इस यात्रा के प्रमुख एजेंडे में 'क्वाड' शिखर सम्मेलन, अमेरीकी उद्योगपतियों से निवेश हेतु व्यापारिक वार्ता, उपराष्ट्रपति कमला हैरिश, अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से विभिन्न मुद्दों पर रणनीतिक द्विपक्षीय व बहुपक्षीय वार्ता व सँयुक्त राष्ट्रसंघ की महासभा के 76वें सत्र में भागीदारी व सम्बोधन आदि था।

अपने यात्रा के प्रथम चरण में प्रधानमंत्री ने अमेरिका के प्रमुख कम्पनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ वार्ता की जिनमें दिग्गज क्वालकॉम कम्पनी के अध्यक्ष और सीईओ क्रिस्टियानो आर आमोन भी शामिल थे। विदित हो कि 5जी तकनीक को सुरक्षित बनाने हेतु चिप दिग्गज क्रिस्टियानो आर आमोन के साथ नरेंद्र मोदी की यह बैठक बहुत महत्वपूर्ण थी। पीएमओ द्वारा सूचित भी किया गया कि क्रिस्टियानो आर आमोन के साथ बैठक सफल रही। उन्होंने  ने 5 जी व अन्य भारतीय क्षेत्रों में भारत के साथ कार्य करने की इच्छा व्यक्त की। स्वाभाविक रूप से प्रधानमंत्री ने बैठक में भारत द्वारा प्रदान किये जाने वाले व्यापक अवसरों पर प्रकाश डाला। इसी अनुक्रम में प्रधानमंत्री ने भरतीय मूल के अमेंरिकी एडोब के शांतनु नारायण से बात की व जनरल एटामिक्स ग्लोबल कार्पोरेशन के विवेक लाल ने लगतार हो रहे सुधारों और भारत मे ड्रोन टेक्नोलॉजी की प्रगति पर प्रधानमंत्री से वार्ता किया। स्वाभाविक रूप से प्रधानमंत्री ने बैठक में भारत द्वारा प्रदान किये जाने वाले व्यापक अवसरों पर प्रकाश डाला। फर्स्टसोलर के सीईओ मार्क विडमार ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर वार्ता की। प्रधानमंत्री ने उनसे 'वन वर्ल्ड, वन सन एंड वन ग्रिड' की पहल और इस क्षेत्र में निवेश के अवसरों और सौर ऊर्जा के उपयोग के क्षेत्र में भारत के प्रयासों को विस्तार से बताया। 

नरेंद्र मोदी पिछले आठ महीनों में दो बार अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ वर्चुअल बैठक कर चुके हैं लेकिन यह राष्ट्रपति के साथ उनकी पहली व्यक्तिगत बैठक थी जो विनोदप्रिय माहौल में प्रारम्भ हुई नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के सरनेम को लेकर चर्चा की उन्होंने कहा कि मैं आप के सरनेम पर काफ़ी कागजाद ढूढने की कोशिश की और बहुत कुछ कागजाद लेकर आया हूँ, शायद आप  इस मामले को आगे बढ़ा सकते हैं। इसपर जो बाइडेन अपनी हंसी नहीं रोक पाए। विदित हो कि उनके कुछ पूर्वज ईस्ट इंडिया कम्पनी में अपनी सेवा काल मे भारत मे रहे और उनके सम्बन्धित लोग अभी भी महाराष्ट्र में रहते हैं जो इनके राष्ट्रपति बनने पर सम्पर्क स्थापित करने का प्रयास भी किये थे। जो बाइडेन ने जबाब में विद्वान अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिश, जिनकी माता भारतीय थी और वह एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक भी थीं, के भारतीय सम्बन्ध पर भी बात किया। गम्भीर मुद्दों पर काफ़ी सकरात्मक माहौल में बात हुई। मोदी ने इंडो-यूएस सम्बन्धों को नई ऊंचाई पर ले जाने हेतु प्रतिबद्धता ब्यक्तकी साथ ही नए दौर में सम्बन्धों को सुदृढ करने हेतु नई अवधारणा प्रस्तुत की जो '5टी' यानी परम्परा, प्रतिभा, प्रौद्योगिकी, व्यापार, संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित है। उनके अनुसार आगामी दशक में हम इसके आधार पर परस्परिक सम्बन्धों को नया आयाम दे सकते हैं। मोदी  के अनुसार आपसी  सम्बन्धों को मजबूती के लिए युवा शक्ति महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। प्रवासी भारतीयों के योगदान की उन्होंने सराहना की साथ ही दोनो देशों को एक दूसरे की आवश्यकताओं को समझने व एक दूसरे की क्षमताओं का सम्मान करते हुए परस्परिक व्यापार को बढ़ावा देने की बात कही। महात्मागांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत की चर्चा हुई जिसके अनुसार 'हम इस ग्रह के ट्रस्टी हैं।' जो बाइडेन की तारीफ करते हुए मोदी ने कहा कि 'मैं देख रहा हूँ कि आप के नेतृत्वमे इस दशक में हम जो बीज बोयेंगें, वह भारत व अमेरिका के साथ पूरे विश्व के लोकतांत्रिक देशों के लिए बहुत ही ट्रांस्फॉर्मेट्री होगा।' मोदी ने 2016 में जो बाइडेन से उपराष्ट्रपति के रूप में मुलाकात व भारत के प्रति उनकी योजना, जो बहुत प्रेरक थी, पर चर्चा कर उसके प्रभावकारी कार्यान्वयन पर विश्वास व्यक्त किया उनके अनुसार दोनो देश  टेक्नालॉजी के माध्यम से मानवता की बहुत सेवा कर सकते हैं साथ ही दोनो के बीच व्यापार बहुत महत्वपूर्ण है। मोदी के अनुसार इस सदी के तीसरे दशक के प्रारम्भ में यह मुलाकात आप के नेतृत्व में इस दशक को दोनो देशों के सम्बन्धों को नवीन कीर्तिमान तक ले जाने में सक्षम होगी, हम इसके लिए अच्छे बीजों का रोपण कर रहें हैं। जो बाइडेन के अनुसार चालीस लाख भारतीय मूल के लोग अमेरिका में रह रहे हैं, हम दोनों देश मिलकर वैश्विक चुनौतियों को हल कर सकते हैं।कोविड महामारी के लिए मिल कर कार्य करने के वादे के साथ जलवायु परिवर्तन, इंडो पेसिफिक रीजन सहित तमाम ज्वलन्त मुद्दे वार्ता के केंद्र बिन्दु रहे। प्रधानमंत्री ने मुलाकात को सकरात्मक बताया। 

नरेंद्र मोदी ने वाशिगटन डीसी में क्वाड शिखर सम्मेलन 2021 के प्रथम बार भौतिक रूप से आयोजन हेतु पहल करने के लिए जो बाइडेन को धन्यवाद दिया जिसमे इन दोनों लोगों के साथ जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्काट मारिसन ने सहभाग किया। मोदी के अनुसार 2004 की सुनामी के बाद हम इंडो पेसिफिक क्षेत्र के सहयोग हेतु आगे आये थे, आज जब सम्पूर्ण विश्व ऐतिहासिक कोरोना संक्रमण से अपने अस्तित्व हेतु सँघर्ष कर विजय की ओर  अग्रसर हो रहा है ऐसे समय में हमारी एकता इस महत्वपूर्ण इंडो पेसिफिक क्षेत्र में न केवल कोरोना संक्रमण पर विजय  वरन इस क्षेत्र की शांति सुनिश्चित करेगा। उन्होंने सकरात्मक सोच व एप्रोच के साथ आगे बढ़ने, आपूर्ति सुनिश्चित करने, जलवायु परिवर्तन, सुरक्षा आदि पर मिलकर काम करने पर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

सँयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के 76 वें अधिवेशन के सम्बोधन में नरेंद्र मोदी ने बहुत ही मुखर रूप से भारत के वैश्विक दृष्टिकोण व अपनी चिंताओं को रखा। अब्दुल्ला शाहिद को अध्यक्ष पद सम्हालने हेतु धन्यवाद दिया। विगत सौ वर्ष की सबसे बड़ी महामारी कोरोना संक्रमण जो डेढ़ वर्ष से वैश्विक रूप से तांडव मचा रखा है, से मरने वालों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त कर, महासभा के माध्यम से बताया कि भारत विश्व की प्रथम डीएनए वैक्सीन विकसित कर लिया है जो बारह वर्ष से ऊपर के उम्र के बच्चों को लगेगी। 

भारतीय वैज्ञानिक 'नेजल वैक्सीन 'के विकासपथ पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि मानवता के प्रति अपने कर्तव्यपथ पर अग्रसर होते हुए भारत दुनिया के देशों को पुनः वैक्सीन निर्यात प्रारम्भ कर दिया है साथ ही साथ दुनिया के वैक्सीन निर्माताओं को इसके निर्माण हेतु आमन्त्रित भी किया। चीन और पाकिस्तान आदि किसी देश का नाम लिए वगैर आतंकवाद पर जोड़दार प्रहार करते हुए कहा कि प्रतिगामी सोच के साथ जो देश आतंकवाद का एक उपकरण के रूप में प्रयोग कर रहें हैं यह उनके लिए भी उतना ही विनाशकारी सिद्ध होने वाला है, अफगानिस्तान की धरती का प्रयोग आतंकवाद के विस्तार व आतंकबादी हमलों के लिए न हो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए साथ ही वहाँ की नाजुक स्थिति का प्रयोग कोई देश राजनिकतिक उपकरण के रुप में न कर सके इसके लिए भी सतर्क रहना होगा। समुद्र हमारी साझी विरासत हैं यह अंतराष्ट्रीय व्यापार की जीवन रेखा है। इसको एक्सपेंशन और एक्सक्लुशन की दौड़ से बचा कर रखना होगा। समुद्री रिसोर्सेज का हम यूज करें अब्यूज नहीं। लोकतन्त्र के महत्व की बात करते हुए उन्होंने इससे सम्बन्धित हज़ारों वर्ष पुरानी गौरवशाली भारतीय लोकतांत्रिक परम्परा का जिक्र कर भारत को लोकतंत्र की मातृभूमि व वाइब्रेंट लोकतन्त्र का उदाहरण बताया जिसके बल पर बचपन मे चाय की दुकान पर परिजनों का सयोग करने वाला छोटा बच्चा आज चौथी बार प्रधानमंत्री के रूप महासभा को सम्बोधित कर रहा है। उन्होंने कहा कि 'कोई भी पीछे न रहे' के सिद्धांत में विश्वास रखते हुए दुनिया के विभिन्न परिवर्तनकारी विकास  कार्यक्रमों में भारत के योगदान की चर्चा करते हुए  संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिता पर उठने वाले सवालों के बीच बदलते परिवेश इसमें अपेक्षित सुधार की माँग की जिससे यह और प्रभावी बन सम्पूर्ण विश्व के मानवता के कल्याण हेतु अधिक प्रभवकारी अपेक्षित भूमिका का निर्वाधगति से निर्वहन और निष्पादन कर सके।

विश्व के कुछ देशों यथा चीन आदि के प्रमुख की नज़र भारतीय प्रधानमंत्री की इस यात्रा पर थी। विशेषकर क्वाड शिखर  सम्मेलन व आतंकबाद के प्रत्यक्ष व परोक्ष  प्रश्रय  को लेकर। इस यात्रा में नरेंद्रमोदी अपने चिर परिचित अंदाज़ में नज़र आये उन्होंने अपने देश की चुनौतियों, चिन्ताओं और प्राथमिकताओं को बड़े आकर्षक और कूटनीतिक तरीके से सम्बन्धित मंचों पर प्रस्तुत किया। वैश्विक कूटनीति में ऐसी यात्रओं का महत्वपूर्ण स्थान होता है। भविष्य इस यात्रा के परिणामों की समीक्षा करेगा।


राजेश कुमार सिंह 

वरिष्ठ समाजसेवी व स्तम्भकार 

घोसी, मऊ, उत्तर प्रदेश 

पिनकोड 275105

मो0 नं0-9415367382




        

      


      

       

     


    

  

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