सावन मास का आखिरी प्रदोष व्रत कब है? जानें इस व्रत का महत्व और शुभ मुहूर्त


सावन मास में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. सावन का आखिरी प्रदोष व्रत कब है? जानते हैं.


पंचांग के अनुसार 20 अगस्त 2021, शुक्रवार को सावन यानि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को है. इस तिथि को प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव की उपासना की जाती है. शिव भक्त प्रदोष व्रत में भगवान शिव का अभिषेक करते हैं और विधि पूर्वक पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.


सावन का प्रदोष व्रत : सावन का संपूर्ण महीना भगवान शिव को समर्पित है. पंचांग के अनुसार बीते 25 जुलाई 2021 को सावन का महीना आरंभ हुआ था. अब सावन का पवित्र महीना समाप्त होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. पंचांग की गणना के मुताबिक सावन का महीना 22 अगस्त 2021 को समाप्त हो रहा है. इस दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है. 23 अगस्त 2021 से भाद्रपद मास आरंभ हो रहा है. इस मास को भादो मास के नाम से भी जाना जाता है. सावन मास के समापन से ठीक दो दिन पूर्व प्रदोष व्रत रखा जाएगा. इसीलिए इसक विशेष महत्व है.


आयुष्मान और सौभाग्य योग का शुभ संयोग बन रहा है : प्रदोष व्रत पर पंचांग के अनुसार शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है. 20 अगस्त 2021 को रात 08 बजकर 50 मिनट तक त्रयोदशी तिथि रहेगी. प्रदोष व्रत आयुष्मान और सौभाग्य योग में रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार आयुष्मान योग 20 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. इसके बाद सौभाग्य योग आरंभ होगा.


प्रदोष काल : मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का विशेष महत्व बताया गया है. प्रदोष काल में पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले आरंभ होता है. प्रदोष काल में भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं.













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