रात अष्टमी भादों की, घनघोर अंधेरा छाया था।
मामा कंस के कारागार में, अवतार कान्हा ने पाया था।
जेलों में ताले लगे हुए, जब जन्म लिया बनवारी ने।
तब माँ देवकी धन्य हुईं, जेलों की चार दीवारी में।
तेरी माया ने दरबानों को, गहरी नींद में था सुला दिया।
तेरे जन्म की किसी को कोई खबर नहीं, सब पर तूने जादू चला दिया।
तेरे जन्म से दोनों थे खुश हुए, पर कंस कहर से थे डरे हुए।
जेलों के ताले टूट गए, तब वासुदेव तुझे लेके चले।
तूफानी रात थी बहुत घनी, यमुना में नीर बढ़ता ही गया।
ज्योंही पैर पखारे यमुना ने, यमुना का नीर घटता ही गया।
वासु गोकुल धाम थे पहुँच गए, यशोदा की बेटी उठाय लिए।
कान्हा को वहीं लिटाकर के, मथुरा में बेटी लेकर के पहुँच गए।
जेलों के ताले लग गए, हाथों में बेड़ियां आ गयी।
सूचना पहुँचा दी दरवानों ने, देवकी के है बेटी हुई।
कंस बहुत था खुश हुआ, जब आठवी बेटी का पता चला।
बेटी ने कंस को बता दिया, तेरे काल ने जन्म है ले लिया।
*सभी भक्तजनों को जन्माष्टमीकी हार्दिक शुभकामनाएं*
स्वरचित व मौलिक
मानसी मित्तल
शिकारपुर
जिला बुलंदशहर
उत्तर प्रदेश
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