इक्कीसवीं सदी के बदलते भारत के वास्तविक शिल्पकार थे राजीव गांधी : मनोज कुमार सिंह


सूचना क्रांति के जनक राजीव गाँधी को जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं :-

"जो लफ्फाजी करता है वह काम नहीं करता और जो काम करता है वह लफ्फाजी नहीं करता।" यह कहावत राजीव गाँधी के व्यक्तित्व और कृतित्व को शत प्रतिशत चरितार्थ करती हैं। 

भारतीय इतिहास में सबसे कम उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गांधी मंच पर हो या मेज पर काम की बात करते थे लफ्फाजी कत्तई पसंद नहीं करते थे। राजीव गाँधी पर टिप्पणी करते हुए देश के सुप्रसिद्ध इतिहासकार रामचन्द्र गुहा ने अपनी पुस्तक India after Nehru में उद्धरित किया है कि--"प्रधानमंत्री पद पर एक भद्र पुरूष बैठा था, जो मतलब की बात करता था और काम करने के प्रति गंभीर और ईमानदार था। उसके दीवाने हो चुके देशवासियों ने उसका नाम मिस्टर क्लीन रख दिया"। बचपन से सरल सहज सार्वजानिक और राजनीतिक जीवन से कोसों दूर नौकरीशुदा जीवन जीने की चाहत रखने वाले राजीव गांधी को हादसो ने जबरन राजनीति में ढकेल दिया। तीन पीढियों से शीर्ष स्तर की राजनीति करने वाले परिवार में पैदा हुए राजीव गाँधी को राजनीति तनिक भी भाती सुहाती नहीं थी। नौकरीशुदा लोगों की तरह तयशुदा जीवन शैली के रंग ढंग में ढले राजीव गाँधी अपने दौर की राजनीतिक चतुराईयो,चालाकियों चालबाजियो, कुटिलताओं और कलाबाजियों से पूरी तरह अनभिज्ञ और कोसों दूर थे। इसी अनभिज्ञता और भोलेपन के कारण राजीव गाँधी ने भारतीय राजनीति में जब प्रवेश किया तो वह इस देश के जनमानस में मिस्टर क्लीन के नाम से लोकप्रिय हो गये । जितना खूबसूरत चेहरा उतना ही खूबसूरत दिल, दिमाग और हृदय वाले विश्व की दूसरी महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के बडे बेटे राजीव गाँधी एक खूबसूरत समाज और खूबसूरत और शक्तिशाली हिन्दुस्तान बनाने केलिये जी-जाॅन से जुटे रहे कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इक्कीसवीं सदी की दहलीज पर खडी   दुनिया जिस तेज़ी से बदल रही थी उसी तरह से प्रगतिशील सोच के साथ भारत रत्न राजीव गाँधी ने भारत की तस्वीर बदलने के लिए महज पांच वर्ष अद्वितीय प्रयास किए। बदलती दुनिया के लिहाज से भारत में बदलाव लाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी, कम्प्यूटराइजेशन और टेलीक्यूनिकेशन  के क्षेत्र में युवा सोच रखने वाले राजीव गांधी ने क्रांतिकारी कदम उठाये। इसलिए किशोरावस्था में अनंत आकाश में उडने की चाहत रखने वाले राजीव गांधी को भारत में कम्प्यूटर क्रांति और सूचना क्रांति का प्रणेता माना जाता हैं और राजीव गाँधी के सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लिये निर्णयों का परिणाम है कि आज भारत के होनहार साफ्टवेयर इंजीनियर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। इतिहासकार ए एल बाशम ने अपनी पुस्तक "अद्भुत भारत" में भारतीयो का उपहास उड़ाते हुए लिखा था कि भारत भालू बन्दर नचाकर और सांप का खेल तमाशा दिखाकर भरण-पोषण करने वाला देश है। परन्तु आज राजीव गाँधी की आधुनिक सोच का नतीजा है कि भारत के होनहार साफ्टवेयर इंजीनियर जैसे-जैसे कम्प्यूटर के की-बोर्ड अपनी उंगलियां नचा रहा है वैसे-वैसे दुनिया के शेयर बाजार नाचते हैं। 

सत्ता के विकेन्द्रीकरण के अग्रणी अग्रदूत भारत-रत्न स्वर्गीय श्री राजीव गाॅधी 21 मई 1991 को तमिलनाडु के शहर पेराम्बदूर में भारत की विश्वशाॅति और विश्वबंधुत्व की परम्परागत विदेश नीति की बलिवेदी पर शहीद हो गए। आतंकवाद किसी भी धरती हो, वह विकास, विश्वशाॅति, विश्वबंधुत्व और मानवता के लिए विप्लवकारी और विनाशकारी होता हैं। इसलिए आतंकवाद को जड से मिटाने के लिए राजीव गांधी कृतसंकल्पित थे और  इसलिए आंतकवादियों के निशाने पर थे। 21 मई 1991 की मनहूस रात को उस दौर में दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम के बहशी, कायर, दरिन्दों ने मानव बम का सहारा लेकर शहादत की शानदार परम्परा कायम करने वाले शहीदी कुल-खानदान के तात्कालिक वारिस और भारत की एकता अखंडता के इस महायोद्धा को बम विस्फोट से उड़ा दिया। देश की एकता-अखंडता के लिए प्राणोत्सर्ग करने वाले राजीव गांधी की आकस्मिक मौत से सम्पूर्ण देशवासी स्तब्ध रह गए। आज भी उस भयावह रात के स्मरण मात्र से आधुनिक और बेहतर भारत का स्वप्न देखने वाले हर हिन्दुस्तानी की रूह कांप जाती है। वीभत्स हृदयविदारक दुर्घटनाओं की कोख से उपजा था राजनीतिक व्यक्तित्व। राजनीति से परहेज करने वाले राजीव गाँधी को छोटे भाई संजय गांधी के आकस्मिक निधन से राजनीति में सक्रिय होना पडा। जून 1980 में छोटे भाई संजय गांधी के आकस्मिक निधन से अभी ऊबर भी नहीं पाएं थे कि-1984 मे माॅ इन्दिरा गाँधी की मौत ने इस नये नवेले नेता को झकझोर कर दिया। दोहरे हादसे के बाद आयरन लेडी के निधन से चौराहे पर खडे देश को चलाने की जिम्मेदारी उस राजीव गांधी को मिली जो बहुविवीध जटिलताओं से भरी भारतीय राजनीति का ककहरा सीख रहा था। परन्तु सच्चाई और ईमानदारी की ताकत लिए तथा भोलेपन और भलमनसाहत की खूबियों के साथ  प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी की जितनी बेहतरीन शक्ल- सूरत थी उतनी ही बेहतरीन सीने में सीरत भी थी और उतनी ही बेहतरीन मन मस्तिष्क में जम्हूरियत के लिए जेहनियत भी थी। अपने नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू की तरह व्यक्तिगत जीवन में स्वभावतः लोकतांत्रिक और राजनीतिक रूप से सहिष्णु प्रकृति के राजीव गांधी गाँवो की बदहाली और बदइंतजामी को दूर करने के लिए गहरी तडप रखते थे। स्वभाव और प्रकृति से लोकतंत्रिक होने के कारण राजीव गांधी सत्ता के विकेन्द्रीकरण को वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना के लिए अपरिहार्य और आवश्यक मानते थे। इसलिए सत्ता के विकेन्द्रीकरण के सिद्धांत पर अमल करते हुए राजनीतिक और प्रशासनिक शक्ति और सत्ता को गाँव की दहलीज तक पहुँचाने के लिए और पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा दिलाने की पुरजोर कोशिश की। अंततः 24 अप्रैल 1994 को उनकी पवित्र मंशा साकार हूई और आज भारत के लगभग छः लाख गाॅव संवैधानिक सत्ता और शक्ति से परिपूर्ण है। स्वाधीनता संग्राम के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारतीय गाँवों को स्वावलंबी बनाने के लिए भारतीय गाँवों को आवश्यक संवैधानिक और कानूनी शक्तियाॅ देने की वकालत की थी और कहा था कि- असली भारत गाँवो में बसता है। इसलिए गाँवो का विकास किये बिना भारत का विकास नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज को साकार करने तथा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा के लिए स्वर्गीय राजीव गाँधी के अनूठे प्रयासों को लोकतंत्र में आस्था रखने वाले सर्वदा याद करते रहेंगे। नारी सशक्तिकरण के प्रबल पक्षधर राजीव गांधी के सद्प्रयत्नो का ही परिणाम है कि- तिहत्तरवें संविधान संशोधन के माध्यम से राजनीति में महिलाओं की भूमिका और भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं में तैत्तीस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया। यह सर्वविदित तथ्य है कि आज भी हमारे गाँव शहरों की अपेक्षा आधारभूत और आधुनिक सुविधाओं की दृष्टि से बहुत पिछडे हुए हैं। सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक पिछड़ेपन के बावजूद भारतीय गाॅवो मे विविध क्षेत्रों में करिश्मा करने वाले अनगिनत गुदड़ी के लाल बसते हैं। गाँवो में बसने वाले प्रतिभाओं को अपनी अंतर्निहित क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाओं और उचित परिवेश और प्लेटफॉर्म का अभाव पाया जाता हैं। गरीबी गुरूबत और ग्रामीण जन जीवन में पल बढ रहे होनहार बालकों को उचित शिक्षण-प्रशिक्षण और परिवेश के माध्यम उनकीं प्रतिभाओं को निखारने के लिए राजीव ने क्रांतिकारी और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए नवोदय विद्यालय की स्थापना किया। उनके द्वारा स्थापित नवोदित विद्यालय गाँव की नवोदित प्रतिभाओं के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। एक वास्तविक कल्याणकारी राज्य की यह अनिवार्य शर्त और पहचान होती हैं कि-बुनियादी सुविधाएँ आखिरी कतार में खड़े आदमी की पहुंच में होनी चाहिये।आज भी भारत की बहुत बडी आबादी के लिए सस्ते दर पर बेहतर शिक्षा स्वर्गजात स्वप्न होती हैं। नवोदय विद्यालय जैसा क्रांतिकारी कदम उठाकर राजीव गाँधी ने भारत को सच्चे अर्थों में कल्याणकारी राज्य के रूप में साकार किया था। राजीव गाँधी राष्ट्रनिर्माण में युवाओं की भूमिका और भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मताधिकार की आयु इक्कीस से घटाकर अट्ठारह वर्ष कर दिया। अपनी शानदार नीतियों और निर्णयों से भारत के करोड़ों युवाओं और युवतियों को आसमान की बुलंदियों को स्पर्श करने का ख्वाब और हौसला देने वाले शानदार नेता राजीव गाँधी को यह देश कभी भूल नहीं पायेगा। 


मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता 

बापू स्मारक इंटर कॉलेज दरगाह।



Comments