आचार्य चाणक्य के अनुसार युवावस्था के दौरान व्यक्ति को भविष्य के प्रति अधिक सजग रहने की आवश्यकता होती है। इस दौरान अगर व्यक्ति सही रणनीति बनाता है तो भविष्य में अपने लक्ष्य को वह प्राप्त कर सकता है।
महान बुद्धिजीवी, महाज्ञानी, दूरदर्शी, चतुर राजनीतिज्ञ और रणनीतिकार आचार्य चाणक्य अपनी नीतियों को लेकर दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के दम पर ही नंद वंश का नाश कर, एक साधारण से बालक को मग्ध का सम्राट बनाया था। चाणक्य जी समाज की गहराई से समझ रखते थे और उन्होंने लोगों को सही जीवन जीने के लिए अपने नीति शास्त्र में कुछ नीतियों का जिक्र किया था। आचार्य चाणक्य ने युवाओं के लिए ऐसी तीन आदतों का जिक्र किया है, जिनके कारण उनकी जिंदगी बर्बाद हो सकती है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार युवावस्था के दौरान व्यक्ति को भविष्य के प्रति अधिक सजग रहने की आवश्यकता होती है। इस दौरान अगर व्यक्ति सही रणनीति बनाता है तो भविष्य में अपने लक्ष्य को वह प्राप्त कर सकता है। हालांकि इस उम्र में युवाओं का बुरी संगत और आदतों में पड़ने का खतरा सबसे अधिक होता है। ऐसे में उन्हें सावधान रहने की ज्यादा आवश्यकता होती है।
आलस : आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु उसका आलस है। युवाओं को अगर अपना लक्ष्य प्राप्त करना है तो उन्हें बिल्कुल भी आलसी नहीं होना चाहिए। चाणक्य जी का मानना है कि युवा की जिंदगी में आलस का कोई स्थान नहीं होता। चाणक्य नीति के अनुसार युवाओं को हमेशा अनुशासन प्रिय होना चाहिए। उन्हें अपने सोने और उठने का समय निर्धारित करना चाहिए।
नशा : युवास्था में सबसे ज्यादा डर नशे की लत का होता है। नशा ना सिर्फ शारिरिक तौर पर बल्कि मानसिक तौर पर भी व्यक्ति को कमजोर करता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता। ऐसे में युवाओं को नशे की लत से कोसों दूर रहना चाहिए।
गलत संगत : चाणक्य जी के अनुसार व्यक्ति को कभी भी बुरी संगत में नहीं पड़ना चाहिए। यदि व्यक्ति गलत लोगों के बीच बैठता है तो उसमें बुरी आदतें पड़ती हैं। इसके कारण युवा अपने लक्ष्य से भटक सकते हैं। ऐसे में व्यक्ति को हमेशा ही अच्छी-संगत में रहना चाहिए।
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