बलिया: आज पंडित तारकेश्वर पांडेय स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व सांसद की 111 वी जयंती बलिया के एसी कॉलेज चौराहा स्थित मूर्ति पर माल्यार्पण कर किया गया। शिवाधार पांडेय ने कहा की पूज्य पंडित तारकेश्वर पांडेय ने महात्मा गांधी के असहयोग आह्वान पर बलिया एवं पूर्वांचल के अन्य जनपदों में आंदोलन का नेतृत्व किया एवं ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए जनता जनार्दन को जागरूक किया।
पंडित तारकेश्वर पांडेय जी स्वतंत्रता संग्राम के अप्रतिम योद्धा थे। वे स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी गरीब व शोषित जनता के पोषक थे। एलडी मेस्टन स्कूल बलिया में पढ़ते समय ही उन्होंने क्रांतिकारी भाषण दिया जिसके कारण राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें विद्यालय से निष्कासित कर दिया गया। तत्पश्चात वे अध्ययन हेतु आचार्य नरेंद्र देव के सानिध्य में विद्यापीठ वाराणसी गए।
वहां उन्हें कुमार विद्यालय में प्रवेश दे दिया गया। यही से बीच-बीच में जेल आते-जाते उन्होंने 1936 में शास्त्री की उपाधि प्राप्त की। 1932 में सत्याग्रह आदोलन में भाग लेने के कारण 6 माह की जेल तथा 100 रुपये दंड लगाया गया। 1934 में बलिया वाराणसी षड़यंत्र के सिलसिले में एक माह तक जिला जेल के हवालात में रहे। पुन: 1935 में गोला दीनानाथ वाराणसी डकैती केस में उन्हें जेल हो गई। जब यह सूचना शिव प्रसाद गुप्त जी को मिली तो उन्होंने आरोप की छानबीन की और झूठा मुकदमा होने के कारण गुप्त जी ने मुकदमें में अपनी ओर से धनराशि खर्च करके उनकी मदद की।
पंडित तारकेश्वर पांडेय जी 1930 से 1940 तक बलिया, गाजीपुर व वाराणसी जेलों में बंद रहे। उन दिनों उन्होंनेएक हस्तलिखित अखबार निकाला जिसका नाम था 'मकई का लावा बोल दे धावा'। वह अखबार गुप्त रूप से बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी आदि जनपदों में बांटा जाता था। चार अक्टूबर 1941 में भारत रक्षा, कानून के अंतर्गत उन्हें बलिया में नजरबंद किया गया। कुछ दिनों के बाद सेंट्रल जेल वाराणसी भेज दिया गया। वहां से उन्हें सेंट्रल जेल फतेहगढ़ भेजा गया। इस प्रकार कुल मिला कर छ: वर्ष एक माह छ: दिन जेल में रहे। तीन अप्रैल 1946 को सेंट्रल जेल फतेहगढ़ से छोड़े गए। 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता के पश्चात वे जिला बोर्ड बलिया के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इस पद पर कार्य करते हुए अप्रैल 1952 में राच्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। संसद में हिंदू कोड बिल पर बोलते हुए उनके तेवर देख कर उनके समीप बैठे सदस्य अटल बिहारी वाजपेयी जी ने सभापति से अनुरोध किया कि सत्ता पक्ष का तेवर इस प्रकार है और समयाभाव है तो अच्छा होगा वे अपना भाषण पूर्ण कर सकें। मैं अपना समय भी उन्हें दे रहा हूं।
मौके पर दिनेश्वर प्रसाद पांडेय, उमेश चंद्र पांडेय, सास्वत कुमार दुबे, ज्ञान प्रकाश पांडेय, शिवाधार पांडेय, नर्मदेश्वर चौबे, मनोज कुमार ओझा, अमित कुमार पांडेय, अनिल कुमार पांडेय "एडवोकेट", बलिराम प्रसाद प्रजापति इत्यादि मौजूद रहे।
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