बलिया : जेएनसीयू, दो विश्वविद्यालय के मध्य जुड़कर होगा शैक्षणिक गुणवत्ता में वृद्धि : कुलपति प्रो0 कल्पलता पांडेय

 



बसंतपुर, बलिया। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय और डाॅ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर, पूसा, बिहार के मध्य बुधवार दिनांक 11 जुलाई को सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया। जननायक विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० कल्पलता पांडेय और कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० रमेश चन्द्र श्रीवास्तव के बीच हस्ताक्षरित इस सहमति पत्र में दोनों विश्वविद्यालयों के मध्य प्राध्यापकों और छात्रों के आदान-प्रदान के द्वारा शैक्षणिक गुणवत्ता में वृद्धि लाने का संकल्प व्यक्त किया गया। 

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए प्रो० रमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि जननायक विश्वविद्यालय एक नोडल अधिकारी नामित करे हमारे कुलसचिव और निदेशक, शिक्षा के साथ मिलकर सुरहा ताल के संरक्षण एवं इस पर आधारित रोजगार की संभावनाओं पर योजनाबद्ध कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों विश्वविद्यालय मिलकर संयुक्त वृहद परियोजना तैयार करेंगे और इसमें आस-पास के ग्रामीणों को भी साथ लेकर कार्य किया जायेगा जिससे इस क्षेत्र का सतत विकास हो सके। 

इस अवसर पर "सुरहा ताल पारिस्थितिकी के पुनरुद्धार और आर्थिक उपयोगिता" विषय पर एक संगोष्ठी एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें कृषि विश्वविद्यालय के प्रो० रमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने ग्रामीणों की सम्मानजनक आजीविका की बात करते हुए कृषि अवशेषों के प्रयोग द्वारा रोजगार पैदा करने की बात की। कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं पश्चिमी बिहार में विश्व की सर्वोत्कृष्ट प्राकृतिक संपदा पायी जाती है, हम इसका प्रयोग करते हुए यहीं रोजगार के असीमित अवसर पैदा कर सकते हैं। चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० कल्पलता पांडेय ने ग्रामीण विकास केंद्र शुरू करने की प्रतिबद्धता जतायी और इसके लिए कृषि विश्वविद्यालय की विशेषज्ञता का लाभ लेने की बात की। कहा कि कृषि और वाणिज्य के पाठ्यक्रमों के अध्ययन-अध्यापन पर मेरा बल रहेगा। इस अवसर कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो० पी पी श्रीवास्तव ने बताया कि आज से 50 साल में सुरहा का पानी की गुणवत्ता खराब हुई है जिससे मछलियों की 10 प्रजातियाँ विलुप्त हो गयी हैं। निदेशक, शिक्षा, प्रो० एम एन झा ने नयी शिक्षा नीति में बहु विषयक पाठ्यक्रम की बात की गयी है जिसमें हम मिलकर कार्य कर सकते हैं। डाॅ. रवीश चंद्र ने जल प्रबंधन के द्वारा भूगर्भ जल भंडार को बढ़ाने तथा कृषि में जल जमाव को दूर करने के उपाय बताये। डाॅ. शिवेंद्र कुमार ने मत्स्य उत्पादन और झींगा उत्पादन के नयी तकनीकों के बारे में बताया। 

परिचर्चा में प्रो० जी एन तिवारी, प्रो० सुरेश तिवारी, राम कुमार सिंह तथा विद्यार्थियों ने भाग लिया। 

इस कार्यक्रम की संयोजिका डाॅ. सुचेता प्रकाश ने बीज व्यक्तव्य दिया, अतिथि स्वागत डाॅ. गणेश पाठक, संचालन डाॅ. प्रमोद शंकर पांडेय एवं डाॅ. यादवेंद्र प्रताप सिंह, धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. इंद्र प्रताप सिंह, डाॅ. दयालानंद राय ने किया। इस अवसर पर प्रो लल्लन जी सिंह, डाॅ. श्रद्धा यादव, डीएफओ, कुलसचिव संत लाल पाल, डाॅ अरविंद नेत्र पांडेय, डाॅ. जैनेंद्र कुमार पांडेय, डाॅ साहेब दुबे, डाॅ. ओ पी सिंह, डाॅ. सुधाकर तिवारी, डाॅ. देवेंद्र सिंह, डाॅ अशोक सिंह, डाॅ. निवेदिता श्रीवास्तव डाॅ अपराजिता, अतुल, शैलेंद्र, आशीष, वंदना, पलक और चंदा आदि प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे

सादर, जैनेन्द्र कुमार पाण्डेय, पीआरओ। 



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