मरना मेरी नियति नहीं है।

 

युगो युगो का अमर पथिक हूँ, 

मरना मेरी नियति नहीं है ।

कुरूक्षेत्र का अर्जुन हूँ मैं,

हल्दीघाटी का राणा हूँ,

रख शीश हथेली पर निकला हूँ,

शीश झुकाना नियति है ।

मरना मेरी नियति नहीं है। 


अमर कोख का अमर पुत्र हूँ,

परमपिता का चरम सुत्र हूँ,

तपोभूमि की तपश्चर्या का ताप लिए,

जलते अंगारों पर तपकर निकला हूँ,

जल जाना मेरी नियति नहीं है। 

मरना मेरी नियति नहीं है। 


अपने ही नाशक हथियारों से कटती मानवता,

नदी-घाट से शमशानो तक जलती मानवता,

धर्म के जाति के झगड़े में उलझी  मानवता,

गंगा-यमुना का प्यार बहाने निकला हूँ,

बह जाना मेरी नियति नहीं है। 

मरना मेरी नियति नहीं है। 


संत विनोबा की जलती मशाल हूँ,

हिमगिरि सा अटल चिर विशाल हूँ,

देवर्षि दधिचि की उत्कट मिसाल हूँ ,

हर जीवन से तिमिर मिटाने निकला हूँ,

बुझ जाना मेरी नियति नहीं है।    

युगों युगों का अमर पथिक हूँ 

मरना मेरी नियति नहीं है। 


मनोज कुमार सिंह "प्रवक्ता"

बापू स्मारक इंटर कॉलेज दरगाह मऊ ।

Comments