नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने मानव जीवन से संबंधित कई नीतियों का वर्णन किया है। इन नीतियों को अपनाकर लोग सफलता पाने के साथ ही सुखपूर्वक जीवन बीता सकते हैं। सालों पहले लिखी आचार्य चाणक्य की ये नीतियां वर्तमान समय पर एक समय सटीक बैठती है। नीति शास्त्र की नीतियां आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं।
एक श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि धन और विद्या कुछ विशेष परिस्थितियों में किसी काम के नहीं होते हैं। कहा जाता है कि चाणक्य की नीतियों का पालन करने वाले को सफल होने से कोई रोक नहीं सकता। चाणक्य ने अपनी नीतियों के जरिए एक साधारण बालक चंद्रगुप्त को मौर्य वंश का सम्राट बना दिया था।
पुस्तकेषु च या विद्या परहस्तेषु च यद्धनम्
उत्पन्नेषु च कार्येषु न सा विद्या न तद्धनम्।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो विद्या सिर्फ किताबों में ही हो और जो धन दूसरों के हाथ लग जाता है, वो किसी काम का नहीं हो होता है। चाणक्य का मानना है कि विद्या वो धन है जिसे बांटने से बढ़ाया जा सकता है। लेकिन जो विद्या सिर्फ किताबों तक ही सीमित है और उसका व्यवाहारिक ज्ञान से कोई लेना-देना नहीं है, ऐसी विद्या का कोई अर्थ नहीं है।
कहते हैं कि व्यक्ति को हमेशा किताबें पढ़कर ज्ञान लेना चाहिए लेकिन उस ज्ञान को व्यावहारिक ज्ञान में भी लाना चाहिए, तभी वह सार्थक होता है। किताबों को सिर्फ रटने से कुछ नहीं होगा। इसके अलावा दूसरों को दिया धन, कभी समय पर काम नहीं आता है। इसलिए अपने धन को हमेशा सुरक्षा के साथ संचय करना चाहिए, ताकि उस धन का सही इस्तेमाल किया जा सके। पैसों के मामले में किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
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