सावन के महीने में पहन लें रुद्राक्ष, दुर्भाग्‍य, सौभाग्‍य में जाता है बदल


भगवान शंकर की सबसे प्रिय चीज रुद्राक्ष पहनने से दुर्भाग्‍य, सौभाग्‍य में बदल जाता है. रुद्राक्ष का असर चमत्‍कारिक है. विशेष मनोकामनाओं के लिए उनसे संबंधित रुद्राक्ष पहनने से बहुत लाभ होता है. 

रुद्राक्ष को धर्म और ज्‍योतिष दोनों में बहुत अहम माना गया है. पुराणों-मान्‍यताओं के मुताबिक रुद्राक्ष भगवान शिव के आसुओं से बने हैं. भगवान भोलेनाथ खुद रुद्राक्ष की मालाएं पहने रहते हैं और जो भक्‍त रुद्राक्ष पहनते हैं, उन पर भी भगवान की हमेशा कृपा बनी रहती है. रुद्राक्ष पहनने से सकारात्‍मक ऊर्जा मिलती है. आज जानते हैं कि रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते हैं और किस मनोकामना के लिए कौनसा रुद्राक्ष पहनना चाहिए. 

रुद्राक्ष के प्रकार : रुद्राक्ष एकमुखी से लेकर चौहदमुखी तक होते हैं. हर रुद्राक्ष अलग-अलग देवी-देवता का रूप माना जाता है. जैसे- एकमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव, द्विमुखी श्री गौरी-शंकर, त्रिमुखी तेजोमय अग्नि, चतुर्थमुखी श्री पंचदेव, षष्ठमुखी भगवान कार्तिकेय, सप्तमुखी प्रभु अनंत, अष्टमुखी भगवान श्री गेणश, नवममुखी भगवती देवी दुर्गा, दसमुखी श्री हरि विष्णु, तेरहमुखी श्री इंद्र और चौदहमुखी हनुमानजी का रूप माना जाता है. इसके अलावा श्री गणेश व गौरी-शंकर नाम के रुद्राक्ष भी होते हैं. 

रुद्राक्ष और उनसे पूरी होने वाली मनोकामनाएं : किसी क्षेत्र में शिखर पर पहुंचने के लिए- इसके लिए एकमुखी से लेकर चौहदमुखी रुद्राक्ष तक के सारे रुद्राक्ष को एक माला में पिरोकर पहनें. भगवान शिव की कृपा आपको बहुत ऊंचाई पर ले जाएगी. 

गरीबी दूर करने के लिए : रुद्राक्ष कई तरह के ग्रह दोषों को दूर करता है. गरीबी दूर करने के लिए गौरी-शंकर रुद्राक्ष धारण करें. यह कर्ज-गरीबी से निजात दिलाकर आपको धनवान बनाएगा. 

परीक्षा-इंटरव्‍यू में सफलता पाने के लिए : यदि किसी खास कॉलेज में एडमिशन लेना चाहते हैं या अहम इंटरव्‍यू पास करके बड़े पद पर पहुंचना चाहते हैं तो कड़ी मेहनत करने के साथ-साथ एकमुखी रुद्राक्ष पहन लें. आपका भाग्‍य भी आपका साथ देगा. एकमुखी रुद्राक्ष मुश्किल से मिलता है, लिहाजा गणेश रुद्राक्ष भी पहन सकते हैं. गणेश रुद्राक्ष बुद्धिमत्‍ता और एकाग्रता बढ़ाता है, लिहाजा सभी विद्यार्थियों के लिए यह अच्‍छा है. 

नोट : इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. 




Comments