मृत्यु

जब कोई इंसान इस दुनिया से विदा हो जाता है तो उसके कपड़े, उसका बिस्तर, उसके द्वारा इस्तेमाल किया हुआ सभी सामान उसी के साथ तुरन्त घर से निकाल दिये जाते है।

पर कभी कोई उसके द्वारा कमाया गया धन-दौलत. प्रोपर्टी, उसका घर, उसका पैसा, उसके जवाहरात आदि, इन सबको क्यों नही छोड़ते?

बल्कि उन चीजों को तो ढूंढते है, मरे हुए के हाथ, पैर, गले से खोज-खोजकर, खींच-खींचकर निकालकर चुपके से जेब मे डाल लेते है, वसीयत की तो मरने वाले से ज्यादा चिंता करते है।

इससे पता चलता है कि आखिर रिश्ता किन चीजों से था।

इसलिए पुण्य परोपकार ओर नाम की कमाई करो।

इसे कोई ले नही सकता, चुरा नही सकता। ये कमाई तो ऐसी है, जो जाने वाले के साथ ही जाती है।

*हाड़ जले ज्यूँ लाकड़ी, केस जले ज्यूँ घास।*

*कंचन जैसी काया जल  गई, कोई न आयो पास।।*


डॉ0 वी0 के0 सिंह

दंत चिकित्सक

इंदिरा मार्केट, बलिया। 




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