बलिया : याद किये गए जनयोद्धा चितरंजन सिंह








प्रथम स्मृति दिवस पर उनके गांव में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

बलिया। आपात काल की बरसी व मानवाधिकारवादी नेता चितरंजन सिंह की प्रथम पुण्यतिथि पर उनको याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि चितरंजन सिंग जनांदोलनों के निर्भीक व निडर प्रतीक थे। कमजोर पड़ रही मानवाधिकार की लड़ाई पर लोगों ने चिंता व्यक्त की। संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्षों को और धार देने पर जोर दिया गया।

पीयूसीएल द्वारा आयोजित उनकी पहली पूण्य तिथि के समारोह में शनिवार को उनके गांव सुल्तानपुर में लोगों का जमावड़ा लगा। विभिन्न संगठनों और सामाजिक संस्थाओं के जिले भर से आये लोगों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उनके गांव के सैकड़ों लोगों ने भी उनके चित्र पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धासुमन अर्पित किया। उनकी स्मृतियों को याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि मौजूदा विषम परिस्थियों में उनकी कमी शिद्दत से महसूस हो रही है। चितरंजन सिंह देशभर में हजारों-लाखों संघर्षशील लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हुआ करते थे। 

स्मृति सभा में बोलते हुए स्वतंत्र पत्रकार मोहन सिंह ने कहा कि चितरंजन सिंह अंतिम व्यक्ति के हक की लड़ाई लड़ते थे। पीयूसीएल के जिलाध्यक्ष रणजीत सिंह ने कहा कि उनका संघर्ष लंबे समय तक मानवाधिकार की लड़ाई लड़ने वालों को रास्ता दिखाता रहेगा। स्मृति सभा को रामकृष्ण यादव, राम प्रकाश, केशव सिंह, डॉ. हरिमोहन सिंह, बलवंत यादव, भरत सिंह, शैलेश धुसिया, तेजनारायण सिंह, डॉ. सत्यनारायण सिंह आदि ने संबोधित किया। पीयूसीएल के उपाध्यक्ष जेपी सिंह ने अपनी कविता के जरिये श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ जनवादी नेता उदय नारायण सिंह और संचालन डॉ. अखिलेश सिन्हा ने किया।



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