कोरोना वायरस को पूरी तरह से रोकने के लिए देश और दुनिया में वैक्सीनेशन जारी है। इसी बीच कोविशील्ड वैक्सीन लेने वालों में एक अलग की बीमारी देखी गई है जिसे गुइलेन बेरी सिंड्रोम कहा जा रहा है।
कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए इन दिनों दुनिया भर के देशों में टीकाकरण अभियान पर जोर दिया जा रहा है। हर रोज देश के लाखों लोगों को वैक्सीन लग रही है और इतनी ही संख्या में डेली रजिस्ट्रेशन भी हो रहे हैं। क्योंकि हेल्थ एक्सपर्ट्स भी बार-बार टीकाकरण कराने पर जोर दे रहे हैं। देश में जबसे डेल्टा प्लस वेरिएंट आया है तबसे वैक्सीनेशन सेंटर्स पर ज्यादा भीड़ देखने को मिल रही है लेकिन इसी बीच टीकों को लेकर एक हैरान कर देने वाली खबर आई है।
दरअसल, एक स्टडी में दावा किया गया है कि भारत में वैक्सीन (Covishield Vaccine) लगवाने वालों में सीरियस सिंड्रोम देखा गया है। इसे वैज्ञानिक गुलियन बेरी सिंड्रोम बता रहे हैं जो बहुत ही घातक किस्म की बीमारी है। जानिए इस गुलियन बेरी सिंड्रोम के बारे में और भी बहुत कुछ।
गुइलेन-बेरी सिंड्रोम एक ऐसी दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है जिसमें इम्यून सिस्टम खुद पर ही नकारात्मक तरीके से हावी हो जाता है। इस कंडीशन में शरीर में मौजूद इम्यून सिस्टम तंत्रिका तंतुओं (nerve fibres) पर स्वयं के प्रोटेक्टिंग कोटिंग्स पर अटैक करता है। आमतौर पर यह सिंड्रोम एक बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन के कारण होता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि टीकाकरण के बाद गुइलेन बेरी सिंड्रोम फैलने की संभावना बहुत कम है। इस सिंड्रोम से ग्रसित लोगों के चेहरे की नसें कमजोर हो जाती हैं।
यह सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome) एक नर्व सिस्टम से जुड़ी बीमारी है। वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर इस बीमारी के सिम्टम्स को नजरअंदाज किया गया तो मरीज लकवाग्रस्त भी हो सकता है। इस सिंड्रोम का खतरा उस वक्त बढ़ सकता है जब यह पूरे शरीर में फैल जाता है।
कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों में सिंड्रोम
मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है भारत के केरल राज्य में गुइलेन-बेरी सिंड्रोम के सात मामले आए हैं। राज्य में लगभग 1.2 मिलियन लोगों को एस्ट्राजेनेका कोविड -19 वैक्सीन (AstraZeneca Covid-19 vaccine) दी गई थी, जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है। इस बारे में अधिक डिटेल आना अभी बाकी है। यूरोपीय नियामकों (European regulators) का कहना है कि उन्होंने एस्ट्राजेनेका से ज्यादा जानकारी के लिए अनुरोध किया है। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि दुनिया भर के दसियों मिलियन लोगों को ये वैक्सीन लग चुकी है जिसमें से कुछ एक लोगों में ऐसा सिंड्रोम देखने को मिला है जो कि बहुत कम है।
एनाल्स ऑफ न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि भारत में वैक्सीन लेने के बाद इस बीमारी के 7 मामले सामने आ चुके हैं। इन सभी ने कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज लगवाई थी और उसके 10-22 दिन के बीच में इनमें गुलियन-बेरी सिंड्रोम के लक्षण पाए गए।
गुइलेन-बेरी सिंड्रोम के लक्षण
-चलने में कठिनाई
-हाथ पैर में झुनझुनाहट होना (लकवा)
-सांस लेने मे तकलीफ
-आंखों पर धुंधलापन छा जाना
-बोलने में कठिनाई या हकलाना
-निगलने या चबाने में समस्या
-पेशाब करने में कठिनाई
-दिल की धड़कनें बढ़ना
-कब्ज की समस्या
-चेहरे की मांसपेशियां कमजोर होना
पहले आई महामारियों की वैक्सीन में दिखा था ये सिंड्रोम
रॉयटर्स के अनुसार, 1976 में संयुक्त राज्य अमेरिका में स्वाइन फ्लू के प्रकोप के दौरान और दशकों बाद 2009 H1N1 फ्लू महामारी के टीकाकरण अभियानों में सिंड्रोम देखा गया था। जीका वायरस से संक्रमण के बीच ये मामले सामने आए थे। गुइलेन-बेरी सिंड्रोम के सबसे आम रूपों में से एक है एक्यूट इंफ्लेमेटरी डिमाइलेटिंग पोलीन्यूरोपैथी (एआईडीपी), जिसमें इम्यून सिस्टम अपने ही माइलिन कोटिंग को नुकसान पहुंचाता है।
हालांकि, रिसर्चर्स ने कहा कि कोरोना की वैक्सीन सेफ है, लेकिन इसके बाद हमें हर सिम्टम्स पर ध्यान देने की जरूरत है। अगर सिंड्रोम के कोई लक्षण दिखें तो बिना देर किए डॉक्टर की सलाह लें।
साभार- नव भारत टाइम्स
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