बलिया। कोरोना काल के पहले या कोरोना वायरस संक्रमण के दूसरे लहर के बीच बलिया जिला कारागार के जेलर पद पर आसीन अपने मूल कर्तव्यों को ईमानदारी से निर्वहन करने वाले अंजनी कुमार गुप्ता वर्षों से अपने पद की गरिमा के साथ-साथ जिला कारागार के बन्दियों के बीच किसी देवदूत से कम नहीं हैं। सरल स्वभाव के धनी जेलर अंजनी कुमार गुप्ता जिला कारागार में अपने नीत नए-नए देसी जुगाड़ो का अभिनव प्रयोग कर सोशल मीडिया आदि में सुर्खियां बटोरते रहते हैं। बात जिला कारागार के सुंदरीकरण की हो या कारागार बंदियों के नैतिक एवं मानसिक सुधार की, वह हमेशा कुछ न कुछ अच्छा करने की कोशिश करते हैं। वह कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव आदि के लिए बंदियों को नियमित प्राणायाम एवं योगासन कराते हैं। जेल के बैरकों, दीवारों, शौचालयों एवं बाथरूम आदि के सुंदरीकरण सहित शुद्ध पेयजल के लिए जेल के अंदर आरओ प्लांट का निर्माण कराए हैं। उप जेलर कुंजबिहारी सिंह के सहयोग से अपने देसी जुगाड़ एवं नई तकनीक से बंदियों एवं कर्मचारियों को भाप का सेवन, देसी काढ़ा एवं फिटकरी तथा सेंधा नमकयुक्त गर्म जल से गरारा कराकर बंदियों एवं जेल कर्मचारियों के इम्यूनिटी को मजबूत कर रहे हैं। गौरतलब है कि प्रत्येक वर्ष बलिया स्थित जिला कारागार बरसात के पानी से भर जाता है। जिसके कारण बंदियों को अन्य जनपदों के कारागारों में शिफ्ट किया जाता है। जेल अधीक्षक प्रशांत मौर्य के सहयोग एवं महती भूमिका से बरसात के पानी से कारागार को मुक्त कराने के लिए बिना खर्च के पंपिंग सेट को नये तरीके से स्थापित कर जेल के अन्दर से पानी निकालने के लिए सीमेंट के पाइप का प्रयोग करते हुए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। इस कार्य में 5 पंपिंग सेट लगातार अपने कार्य में लगे हुए हैं। जेल के अंदर के सारे कार्य बिना पैसे के विभिन्न प्रकार के तकनीशियन बंदियों से ही कराए जाते हैं। यदि उपरोक्त कार्य बाहर के मिस्त्री एवं श्रमिकों से कराया जाए तो लाखों रुपए का खर्च होते।
इधर हाल के दिनों में जिला कारागार में मिट्टी की सोंधी खुशबू से रोटियां बनाकर अपने उच्चाधिकारियों, बंदियों एवं सोशल मीडिया आदि से प्रशंसा के पात्र बने हुए हैं। इसके लिए वे अपने देसी जुगाड़ से मिट्टी के बड़े-बड़े गोले बनाकर चूल्हे पर रखते हैं। चूल्हे की तेज आंच मिट्टी के बड़े-बड़े गोलों को गर्म कर देती है। रोटियों को तवे पर पकाकर चूल्हे के ऊपर रखे मिट्टी के बड़े-बड़े गोले पर रोटियों को फुलाई जाती है। जिसके कारण सारी रोटियां सुंदर एवं गोल गोल फुल जाती हैं। फूली हुई रोटियां बिल्कुल भी कच्ची नहीं होती है। जिसके कारण बंदी रोटियों को फेंकते नहीं है। बहुत चाव से सारी रोटियां खा जाते हैं। जिसके कारण अन्न की बर्बादी नहीं होती है।
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