उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की लीडरशिप में ही 2022 का चुनाव लड़ेगी बीजेपी, संगठन में हो सकते हैं बदलाव


यूपी में पिछले चुनाव में बीजेपी के पास अलग-अलग जातियों से वोट अपनी ओर खींचने के लिए राजनाथ सिंह, कलराज मिश्रा, मनोज सिन्हा और केशव प्रसाद मौर्य सहित कई चेहरे थे, लेकिन प्रचार के लिए सबसे ज्यादा डिमांड सीएम योगी आदित्यनाथ की थी

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश की राजनीति में बीते कुछ समय से अफवाहों का बाजार गर्म था. खबरें आ रही थीं लेकिन उन पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था. अब दिल्ली से लखनऊ आए भाजपा नेताओं ने राजधानी में कई वरिष्ठ मंत्रियों एक-एक कर के बात की. इसके बाद यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पार्टी के नेता बने रहेंगे. इतना ही नहीं पार्टी उनकी ही अगुआई में आगामी विधानसभा चुनाव में उतरेगी.

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष ने मंगलवार रात पिछले पांच हफ्तों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में कोविड-19 स्थिति के 'प्रभावी प्रबंधन' की प्रशंसा करते हुए यूपी में नेतृत्व परिवर्तन के बारे में सभी अफवाहों को लगभग खारिज कर दिया है.

उधर, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधा मोहन सिंह ने नेतृत्व में बदलाव की खबरों को 'कपोल कल्पना' और 'किसी के दिमाग की उपज करार' दिया है. संतोष के साथ लखनऊ के तीन दिवसीय दौरे पर आए सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने के बाद मंगलवार को उप मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य तथा दिनेश शर्मा से मुलाकात की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का पूरा समर्थन

सभी संकेत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का पूरा समर्थन मिल रहा है. केंद्र में आकलन यह है कि आदित्यनाथ, यूपी में पार्टी के लिए सबसे अच्छे नेता हैं क्योंकि वह अपने शासन मॉडल, जमीन पर कड़ी मेहनत और साफ छवि के साथ वहां बेहद लोकप्रिय हैं. इन सबकी वजह से आलाकमान का विश्वास अब भी योगी में कायम है.

लेकिन पार्टी इकाई और यूपी कैबिनेट दोनों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव होने वाले हैं. यूपी सरकार के एक मंत्री ने News18 को बताया, 'कैबिनेट में फेरबदल होना है और जातीय समीकरणों को और संतुलित करने के लिए कुछ नए लोगों को शामिल किया जा सकता है जबकि कुछ मंत्रियों को यूपी चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए संगठन में लाया जा सकता है.'

माना जा रहा है कि संतोष के लखनऊ दौरे में भाजपा नेताओं की शिकायतें सुनी गईं और साल 2022 के राज्य चुनावों से पहले पार्टी के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में खुलकर बोलने का अवसर दिया. पार्टी नेता ने कहा- 'इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि योगी निर्विवाद नेता हैं.'

पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा बने हुए हैं योगी

केंद्र के एक वरिष्ठ मंत्री ने नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार किया कि भाजपा की टीम को लखनऊ भेजे जाने का एक कारण राज्य में कोविड के कारण पैदा हुए हालात के बारे में आ रहीं जानकारियां थीं. राज्य में हाल ही में हुए पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव से पहले की तैयारियों की समीक्षा भी की गई. देश में कोविड की घातक दूसरी लहर के बाद यूपी चुनाव में जाने वाला पहला बड़ा राज्य होगा. कोविड की गंभीर स्थिति के दौरान भाजपा के कुछ विधायकों ने भी प्रतिकूल बयान दिया था. हालांकि राज्य भाजपा के एक पदाधिकारी ने तर्क दिया, 'यह संगठन और सरकार के बीच समन्वय का मुद्दा है. जब आपके पास 300 से अधिक विधायक होंगे तो निश्चित रूप से कुछ ऐसे होंगे जो महत्वपूर्ण पदों या पर्याप्त ध्यान नहीं मिलने से नाखुश होंगे.'

आदित्यनाथ आज भी पार्टी का सबसे बड़ा राज्य चेहरा बने हुए हैं. केशव प्रसाद मौर्य को छोड़कर अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता अब सक्रिय राज्य की राजनीति का हिस्सा नहीं हैं. यूपी में पिछले चुनाव में बीजेपी के पास अलग-अलग जातियों से वोट अपनी ओर खींचने के लिए राजनाथ सिंह, कलराज मिश्रा, मनोज सिन्हा और केशव प्रसाद मौर्य सहित कई चेहरे थे, लेकिन प्रचार के लिए सबसे ज्यादा डिमांड सीएम योगी आदित्यनाथ की थी और अंततः उन्हें सीएम चुना गया. राजनाथ सिंह उस वक्त राज्य की राजनीति में वापस आने के लिए कभी इच्छुक नहीं थे. मनोज सिन्हा को हाल ही में उपराज्यपाल के रूप में जम्मू-कश्मीर भेजा गया था और कलराज मिश्रा को राज्यपाल के रूप में राजस्थान भेजा गया था. मौर्य यूपी सरकार में उपमुख्यमंत्री के पद पर बने हुए हैं.

साभार-News 18 India




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