बलिया। अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य, भूगोलवेत्ता एवं पर्यावरणविद् डॉ० गणेश कुमार पाठक ने एक भेंटवार्ता में बताया कि आज 26 मई को पूर्णिमा के दिन दिखाई देने वाला 'सूपर ब्लड मून' अर्थात सामान्य दिनों से अधिक दिखाई देने वाला 'बड़ा लाल चंद्रमा' एक भौगोलिक एवं खगोलीय घटना है। वास्तव में आज चंद्रग्रहण के दिन जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करेगा और जब वह पृथ्वी की छाया में नहीं होगा तो उस समय दिखाई देने वाला चंद्रमा समान्य दिनों से बड़ा एवं लाल रंग का दिखाई देगा। इसी तरह का 'सुपर ब्लड मून' 26 अप्रैल को भी दिखाई दिया था।
यदि इस बार लगने वाले चंद्रग्रहण एवं 'सुपर ब्लड मून' की घटना को खगोलीय दृष्टि से देखा जाय तो जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट रहने के कारण बड़ा दिखाई देगा, जिससे इसकी चमक भी 14 प्रतिशत तक अधिक हो जायेगी। चूँकि चंद्रमा या किसी दूसरे उपग्रह की पृथ्वी से सबसे अधिक निकट वाली स्थिति को 'पिरेगी' कहा जाता है और सबसे दूर वाली स्थिति को 'अपोगी' कहा जाता है, इसीलिए 'सुपर ब्लड मून' चंद्रमा को 'पिरेगी चंद्रमा' भी कहा जाता है। किंतु चंद्रमा को 'सुपर मून' उस स्थिति में ही कहा जाता है, जब चंद्रम पृथ्वी से 3,60,000 किमी० या उससे कम दूरी पर ही स्थित हो।
चंद्रग्रहण के दिन 'सुपर मून चंद्रमा' लाल इसलिए दिखाई देता है कि चंद्रग्रहण के दौरान सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य की जो लाल किरणें वायमंडल में शेष बची रह जाती हैं तो वायुमंडल से होते हुए चंद्रमा की सतह तक पहुँचती हैं, जिससे चंद्रमा हें लाल दिखाई देने लगता है। इस दौरान वायुमंडल में जितना ही अधिक बादल या धूलकण होंगें, चंद्रमा उतना ही अधिक लाल परिलक्षित होगा। यह भी जानने योग्य बात है कि जब पूर्णिमा एक ही महिने में दो बार हो दूसरे पूर्णिमा को 'ब्लू मून' दिखाई देता है।
आज का चंद्रग्रहण यद्यपि विश्व के अनेक क्षेत्रों में दिखाई देगा, किंतु भारत में यह आंशिक ही दिखाई देगा। खासतौर से पूर्वी भारत में आंशिक रूप से यह सुपर लाल चंद्रमा दिखाई दे सकता है। बलिया में भी अति आंशिक रूप में इस विलक्षण चंद्रग्रण एवं 'सुपर बल्ड मून' का दर्शन हो सकता है।
डॉ० गणेश कुमार पाठक
0 Comments