इस दिन लग रहा है साल का पहला चंद्रग्रहण इन व्यक्तियों पर पड़ने वाला है बुरा प्रभाव…

इस साल कुल चार ग्रहण लगने वाले हैं। जिनमें से दो चंद्र और दो सूर्य ग्रहण होंगे। 26 मई को इस साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने वाला है। ये ग्रहण बुधवार की दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से शुरू हो जाएगा। जो कि शाम 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण की कुल अविध 7 घंटे 1 मिनट की होगी। ये एक उपछाया चंद्रग्रहण होगा। जो कि भारत में नहीं दिखाई देगा। ऐसे में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होने वाला है।

क्या होता है सूतक काल

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब ग्रहण पूर्ण हो तो इसका सूतक काल मान्य होता है। सूतक काल ग्रहण लगने से 9 घंटे पूर्व शुरू हो जाता है। जो कि ग्रहण खत्म होने तक रहता है। सूतक काल के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। ग्रहण के दौरान सोना और पूजा पाठ करना भी वर्जित माना गया है।

इतना ही नहीं ग्रहण लगने पर कई लोग खाना तक नहीं खाते हैं। मान्यता है की ग्रहण के दौरान खाना दूषित हो जाता है। हालांकि अगर खाने व पानी में तुलसी का पत्ता डाल दिया जाए तो ग्रहण का असर इन पर नहीं पड़ता है।

गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान काफी संभलकर रहना होता है। ग्रहण के दौरान निकलने वाली किरणें हानिकारक मानी जाती हैं और इनका बुरा असर गर्भ में पल रहे बच्चों पर पड़ता है।

ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथा

ग्रंथों में ग्रहण लगने से जुड़ी एक कथा का जिक्र किया गया है। कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान सर्वभानु नाम के एक असुर ने छल से अमृत पीने की कोशिश की थी। लेकिन चंद्रमा और सूर्य ने उसे अमृत पीते हुए देख लिया और तुरंत विष्णु जी को इस बारे में जानकारी दी। ये बात पता चलते ही विष्णु जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने क्रोधित होकर सर्वभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया।

हालांकि तब तक अमृत की कुछ बूंदें उसके गले से नीचे उतर चुकी थीं। जिससे दो और असुर उत्पन्न हुई। जिन्हें राहु और केतु कहा गया।अमृत के प्रभाव से ये अमर हो गए। वहीं चंद्रमा और सूर्य से बदला लेने के लिए ये ग्रहण लगाया करते हैं। मान्यता है कि जब राहु और केतु पूरी तरह से चंद्रमा और सूर्य को जकड़ लेते हैं। तब वातावरण में नकारात्मकता फैल जाती है। जो कि हानिकारक होती है। यहीं वहज है कि ग्रहण के दौरान शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।



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