प्रदोष व्रत अप्रैल माह में कब है? प्रदोष काल का जानें मुहूर्त

Pradosh Vrat April 2021: प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है. शिव भक्त प्रदोष व्रत में भगवान शिव की उपासना करते हैं. अप्रैल माह में कब है प्रदोष व्रत, आइए जानते हैं.

Pradosh Vrat 2021 Date : प्रदोष व्रत से भगवान शिव का आर्शीवाद प्राप्त होता है. अप्रैल माह में पहला प्रदोष व्रत 9 अप्रैल और दूसरा प्रदोष व्रत 24 अप्रैल को रखा जाएगा. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से भी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है. वहीं शनि,राहु-केतु और चंद्रमा के दोष भी दूर होते हैं.

प्रदोष व्रत कई प्रकार के रोगों से भी दूर करने वाला बताया गया है. मान्यता है कि इस व्रत को नियम पूर्वक पूर्ण करने से लंबी आयु प्राप्त होती है. वहीं जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है. पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है. यह व्रत प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी को आता है.

प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का अर्थ :

प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का विशेष ध्यान रखा जाता है. सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का समय प्रदोष काल कहा गया है. शास्त्रों में प्रदोष काल को लेकर बताया गया है कि त्रयोदशी तिथि में भगवान शिव में शाम के समय कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं. प्रदोष काल में शिव प्रसन्न होते हैं. इसीलिए प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करने से शिव जी का विशेष आर्शीवाद प्राप्त होते है.

प्रदोष व्रत की पूजा विधि :

प्रदोष व्रत का पौराणिक कथाओं में विशेष महत्व बताया गया है. प्रदोष व्रत के दौरान सुबह और शाम दोनों समय पूजा का विधान बताया गया है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव का अभिषेक करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए.

प्रदोष काल पूजा मुहूर्त :

त्रयोदशी तिथि आरंभ: 9 अप्रैल प्रात: 03 बजकर 16 मिनट से.

9 अप्रैल: सूर्योदय प्रात: 06 बजकर 15 मिनट और सूर्यास्त शाम 06 बजकर 41 मिनट पर.

प्रदोष व्रत पूजा शुभ मुहूर्त: 9 अप्रैल, शाम 06 बजकर 41 मिनट से रात 09 बजे तक.

त्रयोदशी तिथि का समापन: 10 अप्रैल प्रात: 04 बजकर 28 मिनट से.



Comments