डीसीपी दफ्तर में बलात्कार पीड़ित महिला की इज्जत लूट रहा था एसीपी, एसीबी ने किया गिरफ्तार

जयपुर। पुलिस उपायुक्त (पूर्व) कार्यालय की महिला अपराध शाखा के प्रभारी एसीपी (सहायक पुलिस आयुक्त) कैलाश बोहरा ने बलात्कार के एक मामले में कार्रवाई के नाम पर पीड़िता की ही इज्जत मांग ली। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने कैलाश बोहरा को रविवार को उस समय गिरफ्तार किया जब उसने अपने ही कार्यालय में पीड़िता को बुला कर उसकी इज्जत लूटने की कोशिश की। पुलिस अधिकारी ने यह दुस्साहस जिले के उपायुक्त कक्ष के ठीक नीचे स्थित अपने कार्यालय में किया। एसीपी को दबोचते ही एसीबी ने उसके हाथ धुलाए तो पानी में गुलाबी रंग आ गया। एसीबी डीजी बीएल सोनी ने बताया कि बलात्कार पीड़िता ने 6 मार्च को ब्यूरो मुख्यालय पर शिकायत दी थी। जिले के एक थाने में दर्ज मामले में आरोपी की गिरफ्तार के बदले कैलाश बोहरा पीड़िता की इज्जत मांग रहा है। वह पचास हजार रुपए पूर्व में ले चुका है। इस शिकायत पर एडीजी दिनेश एमएन के निर्देश पर सत्यापन किया गया। दिनेश एमएन ने बताया कि दो से अधिक बार सत्यापन होने के बाद एसीबी ने ट्रेप कार्रवाई की प्लानिंग की। एसीपी बोहरा पीडि़ता को रोज कार्यालय बुला रहा था। ग्यारह मार्च को भी एसीबी कार्रवाई की तैयारी में थी। इसके बाद शनिवार को भी तैयारी थी, लेकिन दोनों दिन कार्यालय में अन्य कर्मचारियों के आने पर खुद बोहरा ने महिला को चले जाने के लिए कह दिया। रात में गार्ड, दिन में नहीं- एसीबी अनुसंधान में सामने आया कि उपायुक्त कार्यालय में रात 9 बजे से सुबह 9 बजे तक गार्ड तैनात रहता है। लेकिन अवकाश के दिन भी दिन में यहां गार्ड तैनात नहीं रहता। दिन में कार्यालय सूना पड़ा रहता है। एसीपी बोहरा ने इसी का फायदा उठाकर पीडि़ता को रविवार को बुलाया।

रीडर ने नहीं उठाया फोन- एसीबी ने कार्रवाई के बाद कमिश्नरेट अधिकारियों से संपर्क किया और डीसीपी कार्यालय में स्टाफ को भिजवाने की बात कही। डीसीपी कार्यालय पहुंचा स्टाफ आरोपी कैलाश बोहरा के रीडर को दोपहर से शाम तक कई फोन लगाए। लेकिन उसने फोन रिसीव नहीं किया।

कपड़े और हाथ धुलाए तो निकला गुलाबी रंग- एसीबी ने आरोपी कैलाश बोहरा को दबोचते ही उसके कपड़े उतरवा लिए। बोहरा के कपड़े व हाथ पानी में धुलाए तो रंग गुलाबी हो गया। इसके बाद आरोपी बोहरा को दूसरे कपड़े पहनाए गए।

एसीबी को देख बीपी लो, बोहरा बेहोश, कुछ देर बाद आया होश - एसीबी टीम ने घेरा तो कैलाश बोहरा बेहोश हो गया। एसीबी ने डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने जांच कर बताया कि आरोपी का बीपी लो हो गया था। जबकि बताते हैं कि आरोपी हाई बीपी की दवा लेता है। कुछ देर बाद आरोपी को होश आया। एसीबी आरोपी बोहरा के घर सर्च करने में जुटी है। उधर, डीसीपी कार्यालय में अचानक एसीबी का धावा देख आस-पास के दुकानदार दुकानें बंद कर भाग गए।

पीडि़ता की बहादुरी को सलाम- सरकार ने महिलाओं को जल्द न्याय दिलाने के लिए महिला यूनिटों का गठन किया। यूनिट गठन के बाद भी कई माह से महिलाओं से संबंधित प्रकरण लंबित हैं। इस घटना से साफ है कि इनकी निगरानी व्यवस्था में सुधार आवश्यक है। यह भी गौर करने वाली बात है कि अवकाश के दिन किसी पीडि़ता को कार्यालय में क्यों बुलाया गया।

युवती को छुट्टी के दिन बुलाया- बोहरा ने रविवार सुबह साढ़े ग्यारह बजे पीडि़ता को फोन कर जल्दी से कार्यालय में बुलाया। सत्यापन में सामने आया था कि वह महिला को अक्सर स्पर्श करता है। ऐसे में ट्रैप के दौरान नोटों पर लगाया जाने वाला केमिकल महिला के कपड़ों पर लगाया गया। एसीबी टीम उपायुक्त कार्यालय के बाहर तैनात हो गई। आरोपी दोपहर 12 बजे कार्यालय पहुंचा। कुछ देर बाद युवती भी वहां पहुंच गई। कार्यालय में बोहरा अकेला था। उसने युवती को कमरे में पहुंचते ही दरवाजा बिना लॉक किए बंद कर लिया। उसने युवती को स्पर्श किया। तभी युवती से संकेत मिलते ही एसीबी टीम वहां पहुंच गई। युवती ने गेट खोला तो बोहरा आपत्तिजनक स्थिति में मिला।

महिला सुनवाई शाखा का था प्रभारी- थानागाजी में २०१९ में गैंग रेप की घटना के बाद सरकार ने महिलाओं की त्वरित सुनवाई के लिए हर जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में विशेष दल गठित किया है। इस सीआइयू-सीएडब्ल्यू (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन यूनिट ऑफ क्राइम अगेंस्ट वूमन) शाखा का प्रभारी उप अधीक्षक स्तर का अधिकारी लगाया गया। उपायुक्त पूर्व की शाखा का पहला प्रभारी कैलाश बोहरा ही था। 

थानेदार के समय से ही विवादों से रहा नाता- एसीपी कैलाश बोहरा का विवादों से नाता थानेदार की नौकरी के समय से ही रहा है। कैलाश बोहरा पुलिस में उप निरीक्षक के पद पर भर्ती हुआ था। यहां शिवदासपुरा थानाधिकारी रहने के दौरान उसके खिलाफ अवैध हिरासत में मारपीट का मामला दर्ज हुआ। इसकी सीबीआइ जांच भी हुई थी। बजाज नगर थानाधिकारी रहने के दौरान भाजपा कार्याकर्ताओं से मारपीट का मामला चर्चा में रहा। फिर हाईकोर्ट ने सदर थाने में 2010 में दर्ज दो एफआइआर की जांच सीबीआइ को सौंपी थी। इसमें तत्कालीन थानाधिकारी कैलाश बोहरा सहित आठ पुलिसकर्मियों के नाम थे। आम्र्स एक्ट के मामले में फंसाने की कोशिश करते हुए मारपीट की। मामला अभी सीबीआइ में लम्बित है। बोहरा की दो वर्ष पहले ही आरपीएस में पदोन्नति हुई थी।

अनैतिक कार्यों को लेकर कई पुलिसकर्मी चर्चा में- बोहरा की तरह अनैतिक कार्यों को लेकर कई पुलिसकर्मी चर्चा में हैं। कुछ दिन पहले ही एक आरपीएस के दिल्ली हाईवे स्थित होटल में रंगरैली मनाने का समाचार उच्चाधिकारियों को मिला था। भिवाड़ी पुलिस ने कई होटलों में दबिश दी। हालांकि सम्बंधित अधिकारी पकड़ में नहीं आया। अब इस अधिकारी पर तबादले की तलवार लटकी हुई है।

पांच माह में रिश्वत के लिए पचास हजार- पीडि़ता ने गत वर्ष जुलाई में पूर्व क्षेत्र के एक थाने में मामला दर्ज कराया था। उसने एक युवती पर सोशल मीडिया के जरिए दोस्ती करना बताया। फिर युवती ने अपने भाई से भी दोस्ती करवा दी। युवती के भाई ने पीडि़ता को शादी करने का झांसा दे बलात्कार किया। पीडि़ता गर्भवती हो गई तो अपनी बहन व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर गर्भपात करवा दिया। उसने 25 जनवरी को धमकी देने और 17 फरवरी को फर्जीवाड़ा करने का भी मामला दर्ज करवाया। बोहरा ने कार्रवाई करने के बदले 50 हजार रुपए रिश्वत के मांगे। उसने प्रतिमाह मिलने वाले 16 हजार रुपए वेतन में से दस-दस हजार रुपए कर अक्टूबर 2020 से फरवरी 2021 तक 50 हजार रुपए आरोपी को दिए।

बोहरा के पास छह फाइल- जिस मामले में बोहरा की गिरफ्तारी हुई है वह मामला पहले सम्बंधित थाने के इंचार्ज के पास था। मामला दर्ज होने के बाद पीडि़ता के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान कराए गए। बयानों में पीडि़ता ने गैंग रेप का आरोप लगाया तो दस दिन बाद ही मामला बोहरा के पास स्थानांतरित कर दिया। बोहरा के पास इसके अलावा पांच मामले और लम्बित थे।

पुलिसकर्मी के खिलाफ बलात्कार का मामला- जयपुर. सदर थाने में एक महिला ने पुलिसकर्मी के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करवाया है। पीडि़ता ने रिपोर्ट में बताया कि पीडि़ता का पति से झगड़ा हुआ था और इसकी जांच पुलिसकर्मी को दी गई। पुलिसकर्मी ने पहले शादी करने का झांसा दे उससे बलात्कार किया।

साभार- पत्रिका




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