बावनखेड़ी हत्‍याकांड : जेल में जन्‍मे शबनम के बेटे ताज की राष्‍ट्रपति से गुहार-अंकल जी मेरी मां को माफ कर दीजिए


Bulandshahr News: 12 साल के ताज की 21 जनवरी को रामपुर जेल में बंद मां शबनम से मुलाकात हुई थी. शबनम ने अपने बेटे को टॉफी दी थी. शबनम ने जब हत्‍याकांड को अंजाम दिया था, उस वक्‍त वह 2 महीने की प्रेग्‍नेंट थी.

शबनम के दोस्त रहे उस्मान सैफी ने ताज को गोद ले लिया था. आज ताज 12 साल का है. उसने जब मां को फांसी देने की बात सुनी तो राष्ट्रपति से माफ़ी की गुहार लगाई है. बुलंदशहर में भूड़ चौराहे के समीप सुशील विहार कॉलोनी में रहने वाले उस्मान सैफी के संरक्षण में पल-बढ़ रहे ताज को मां के गुनाहों का अहसास है. उस्मान ने बताया कि ताज ने राष्ट्रपति से मां शबनम को माफ करने की मांग की है.

21 जनवरी को रामपुर जेल में ताज की हुई थी मां से मुलाकात
 
उस्मान ने बताया कि फांसी की सजा पाने वाली शबनम मौजूदा समय में रामपुर जेल में बंद है. 21 जनवरी को उन्होंने ताज की मुलाकात शबनम से करवाई थी. शबनम ने ताज को टॉफ़ी और रुपए भी दिए थे.

शबनम के चाचा-चाची की जल्द फांसी देने की मांग

अपने परिवार के 7 सदस्यों को मौत के घाट उतारने वाली शबनम और उसके प्रेमी सलीम की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा. राष्ट्रपति ने शबनम और सलीम की दया याचिका भी खारिज कर दी. इस फैसले के बाद शबनम के चाचा और चाची सहित पूरे गांव में खुशी का माहौल है. शबनम की चाची कहती हैं कि हमें तो खून का बदला खून ही चाहिए. इसे फांसी जल्द हो जाए. चाची ने कहा कि उस समय अगर हम भी घर में होते तो हमें भी इसने मार डाला होता. हम घटना के बाद आधी रात में यहां पहुंचे थे.

शबनम की चाची ने कहा कि याचिका खारिज हो गई, हम तो बहुत खुश हैं. इसे फांसी होनी चाहिए. वहीं, फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद क्या डेडबॉडी लेंगीं? इस सवाल के जवाब में चाची ने कहा कि हम क्यों लेंगे? हम नहीं लेंगे. हम क्या करेंगे ऐसी लड़की की लाश लेकर? चाचा ने कहा कि हम उस समय यहां नहीं थे. रात में दो बजे के बाद मौके पर पहुंचे थे, सब कटे हुए पड़े थे. इसने जो किया है, वो ही भरना है. उन्होंने कहा कि दूसरा देश होता तो इसे बहुत पहले ही फांसी हो जाती.

शबनम को फांसी हुई तो जेल में जन्मे उसके इकलौते बच्चे का क्या होगा?

अमरोहा के जघन्य हत्याकांड (Amroha Murder Case) के बाद जेल में ही शबनम ने 2008 में अपने बेटे को जन्म दिया था. अब वह 12 साल का है और उसने अपनी मां की फांसी को रद्द किए जाने के लिए राष्ट्रपति से फिर भावुक अपील (Shabnam Mercy Appeal) भी की है.

उत्तर प्रदेश स्थित अमरोहा के गांव में 7 लोगों की हत्या की दोषी शबनम की फांसी की तैयारियां मथुरा जेल (Mathura Jail) में ज़ोरों पर हैं, तो इसी बीच उसके कमउम्र बेटे ने एक बार फिर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) से दया की गुहार लगाकर अपनी मां को बख्शे जाने की अर्ज़ी लगाई है. साल 2008 के इस नृशंस हत्याकांड (Cruel Murder Case) में शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने परिवार के सदस्यों का गला ही कुल्हाड़ी से काट डाला था. हत्याकांड के फौरन बाद जेल भेजी गई शबनम ने दिसंबर 2008 में जेल में ही बेटे को जन्म दिया था, जिसका नाम ताज रखा गया था.

खबरों की मानें तो आज़ाद भारत में शबनम पहली महिला होगी, जिसे फांसी दी जाएगी. इस बारे में कई तरह की चर्चाओं के बीच एक सवाल यह खड़ा होता है कि शबनम के 12 साल के बेटे का क्या होगा? उसकी परवरिश और पढ़ाई लिखाई कैसे होगी? बचपन के कई साल मां शबनम के साथ जेल में रहने वाला ताज अब कहां है और भविष्य में कहां होगा?

शबनम के बेटे का क्या हुआ?

2008 से ही जेल में बंद शबनम और सलीम को 2010 में अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई थी. इसके बाद आगे की अदालतों में सुनवाई चलती रही और शबनम जेल में ही रही. लेकिन 2015 में उसके बेटे ताज को जेल से रिहाई मिली थी, जब कॉलेज में शबनम के साथी रहे उस्मान सैफी ने ताज की परवरिश की ज़िम्मेदारी ली और उसे अपने साथ ले गए.

अस्ल में, उस साल अमरोहा की बाल कल्याण समिति ने एक विज्ञापन जारी कर कहा था कि जेल मैन्युअल के हिसाब से कैदी मांएं अपने बच्चे को 6 साल की उम्र के बाद साथ नहीं रख सकतीं इसलिए ताज को गोद लेने के लिए अभिभावकों की तलाश है. इस अपील पर कॉलेज में शबनम से दो साल जूनियर रहे सैफी सामने आए थे.




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