हर कोई चाहता है कि धन दौलत हो, दुनिया के सारे ऐशो आराम हो। इसलिए इंसान दिन और रात खूब मेहनत करता है। वह अपने स्थित पर हर संभव प्रयास करता है। लेकिन सफलता सिर्फ चंद लोगों को ही नसीब होती है। कई लोग ऐसे है जिनको कड़ी मेहनत करने बाद कुछ हासिल नहीं होता है। फिर ये लोग किसी बाबा और ढ़ोंगी के चक्कर में आकर अपने जीवन को ओर खराब कर लेते है। ज्योतिष शास्त्र में हर परेशानी का समाधान बताया गया है। प्राचीन ग्रंथो में बताया गया है कि मंत्र देवता का मन और यंत्र शरीर होता है। यंत्र सिद्ध होने पर इनमें ईश्वर का वास होता है। इससे मनुष्य के सभी कामों को सिद्ध करने की शक्ति होती है। आइए जानते है कि इन यंत्रों के बारे में जिनसे अपनी सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकते है।
कई प्रकार के होते है यंत्र ज्योतिष शास्त्र में यंत्र कई प्रकार के बताए गए है जैसे भूपृष्ठ, मेरूपृष्ठ, पाताल, मेरूप्रस्तर, कूर्मपृष्ठ आदि मुख्य हैं। यंत्रों में रेखा, बीज, अंक, मंत्रों आदि का प्रयोग होता है। अष्टगंध, पंचगंध की स्याही बनाकर या केसर, हल्दी, सिंदूर आदि का प्रयोग कर यंत्र लेखन किया जाता है। भोजपत्र, तांबा, चांदी, सोने आदि के पत्र पर यह निर्मित होता है। अनार, चमेली, नीम, आम, आक की टहनी, पक्षियों के पंख आदि से लिखा जाता है। शुभ मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठित यंत्र मनोकामना पूर्ति में सहायक होने के साथ आपकी जिंदगी बदलने में समर्थ होता है। कुछ उपयोगी यंत्र निम्न हैं।
श्री यंत्र श्री यंत्र को यंत्रों में सर्वश्रेष्ठ यंत्र राज कहा जाता है। इस यंत्र की अधिष्ठाती देवी मां त्रिपुर सुंदरी है। रविपुष्य, गुरुपुष्य नक्षत्र या अन्य शुभ मुहूर्त में रजत, ताम्र, स्वर्ण या भोजपत्र पर इस यंत्र का निर्माण करें। तत्पश्चात् यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा कर मां त्रिपुर सुंदरी का ध्यान एवं कमल गट्टे या रूद्राक्ष की माला से निम्न मंत्र का जाप करें। इस यंत्र की पूजा-अर्चना से दुख, दरिद्रता दूर होकर घर में चिरस्थाई लक्ष्मी का वास होता है।
श्री सर्वसिद्धि यंत्र इस यंत्र को लेकर ऐसा कहा जाता है कि इससे सरस्वती की पूजा की जाती है। अगर पढ़ाई में एकाग्रचित्तता न बनती हो, ग्रह जनित दोषों के कारण शिक्षा में व्यवधान आता हो, तो इस यंत्र का रविपुष्य, गुरुपुष्य नक्षत्र, बसंत पंचमी या अन्य शुभ मुहूर्त में अनार की कलम से भोजपत्र या ताम्रपत्र पर निर्माण करें। यंत्र निर्माण पश्चात् प्रतिदिन निम्न मंत्र का सरस्वती मां के समक्ष निम्न मंत्र का जाप करें।
व्यापार वृद्धि यंत्र अपने व्यापार में वृद्धि करने के लिए कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, रवि या गुरुपुष्य नक्षत्र में यह यंत्र भोजपत्र, तांबे, चांदी या स्वर्ण पत्र पर शुभ मुहूर्त में बनवाकर इसकी पूजा- अर्चना करें। श्वेत आसन, श्वेत पुष्प, श्वेत वस्त्र का प्रयोग कर ओम ह्रीं श्रीं नमः मंत्र की एक माला का जाप 21 या 51 दिन तक करने पर यंत्र सिद्ध हो जाता है।
असाध्य रोग निवारक यंत्र अगर किसी के घर में बार बार कोई बीमार पड़ता है तो रवि या गुरुपुष्य नक्षत्र या किसी भी शुभ मुहूर्त में इस यंत्र को भोजपत्र पर केसर से अनार की कलम से लिखकर गूगल की धूप देकर गले में बांधने से असाध्य रोग नष्ट होता है। इससे घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
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