यूपी में एक जिले में एक चरण में होगा पंचायत चुनाव

उत्तर प्रदेश में बदलेगा पंचायत चुनाव का तरीका, एक जिले के सभी ब्लॉक में चार चरणों की बजाय एक जिले के सभी ब्लॉक में एक ही चरण में होगा पंचायत चुनाव. राज्य निर्वाचन आयोग ने जारी किया आदेश.

उत्तर प्रदेश में मार्च में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस बार पंचायत चुनाव के तरीके में आमूलचूल परिवर्तन किया गया है. प्रदेश में पंचायत चुनाव “एक जनपद - एक बार” की पद्धति से कराए जाएंगे. इस बार पंचायत चुनाव में एक जिले के सभी ब्लॉक में एक ही चरण में चुनाव कराए जाएंगे. प्रत्येक मंडल के एक जिले में एक चरण में चुनाव कराया जाएगा. राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त मनोज कुमार ने सभी जिलाधिकारियों को एक जिले में एक ही चरण में चुनाव की तैयारियां करने के निर्देश दिए हैं.

प्रदेश में अभी तक पंचायत चुनाव में एक जिले में स्थित विकास खंडों में चार चरण में चुनाव कराए जाते थे. यदि किसी जिले में 12 विकास खंड हैं तो प्रत्येक चरण में तीन-तीन विकास खंड में चुनाव कराए जाते थे. इस बार प्रत्येक जिले के सभी विकास खंडों में एक ही चरण में चुनाव कराए जाएंगे. प्रत्येक मंडल के एक से दो जिलों को एक चरण में शामिल किया जाएगा, ताकि चार चरण में चुनाव संपन्न कराए जा सकें.

यूपी सरकार ने पंचायत चुनाव के लिए त्रिस्तरीय पंचायतों में वार्डों के आरक्षण लिए 11 फरवरी को नियमावली जारी कर दी है. नियमावली के अनुसार, पंचायतों में आरक्षण चक्रानुक्रम रीति से ही होगा लेकिन जहां तक हो सके, पूर्ववर्ती निर्वाचनों अर्थात् सामान्य निर्वाचन वर्ष 1995, 2000, 2010 और वर्ष 2015 में अनुसूचित जनजातियों को आवंटित जिला पंचायतें अनुसूचित जनजातियों को आवंटित नहीं की जाएगी और अनुसूचित जातियों को आवंटित जिला पंचायतें अनुसूचित जातियों को आवंटित नहीं की जाएंगी. इसी तरह पिछड़े वर्गों को आवंटित जिला पंचायतें पिछड़े वर्गों को आवंटित नहीं की जाएंगी.

बता दें कि इस नियमावली के आधार पर ही अगले एक माह में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के वार्डों का आरक्षण निर्धारण होगा. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 17 मार्च तक आरक्षण प्रक्रिया पूरी करके 30 अप्रैल तक पंचायतों के चुनाव कराने के आदेश दिए हैं. प्रदेश में अप्रैल माह में 58,194 ग्राम पंचायतों, 7,31,813 ग्राम पंचायत सदस्यों, 75,855 क्षेत्र पंचायत सदस्यों, 3,051 जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव कराया जाएगा. इसके बाद 826 ब्लॉक प्रमुखों व 75 जिला पंचायत अध्यक्षों का निर्वाचन होगा. प्रदेश सरकार की नियमावली के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों और पिछड़े वर्गों को आवंटित जिला पंचायतों की एक तिहाई से अन्यून (इससे कम न हो) जिला पंचायतें यथास्थिति, अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों और पिछड़े वर्गों की स्त्रियों को आवंटित की जाएंगी. स्त्रियों के लिए आवंटित जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों को सम्मिलित करते हुए राज्य में जिला पंचायत के अध्यक्षों के पदों की कुल संख्या के एक तिहाई से अन्यून जिला पंचायत के अध्यक्षों के पदों को स्त्रियों को आवंटित किया जाएगा. जिन जिला पंचायतों के प्रादेशिक क्षेत्रों में अधिक जनसंख्या (जिसमें अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों और पिछड़े वर्गों की जनसंख्या सम्मिलित नहीं है) वे स्त्रियों को आवंटित की जाएंगी लेकिन इस प्रकार की जहां तक हो सके, पूर्ववर्ती निर्वाचनों अर्थात् सामान्य निर्वाचन वर्ष 1995, 2000, 2010 और वर्ष 2015 में स्त्रियों को आवंटित जिला पंचायतें स्त्रियों को आवंटित नहीं की जाएंगी. नियमावली के तहत, पंचायतों के आगामी सामान्य निर्वाचन वर्ष 2021 के आरक्षण में चक्रानुक्रम लागू किया जाएगा. इसके फलस्वरूप पिछले सामान्य निर्वाचनों (वर्ष 1995, 2000, 2010 और वर्ष 2015) में आरक्षित वर्गों (अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्गों तथा स्त्रियों) के लिए जो जिला पंचायतें आरक्षित की गई थीं, उन्हें आगामी निर्वाचन में संबंधित आरक्षित वर्ग के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा बल्कि अवरोही क्रम में अगले स्टेज पर आने वाली जिला पंचायत से आरक्षण शुरू किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश में जल्द ही होने वाले पंचायत चुनाव से पहले आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस ने भी कमर कस ली है. इसके लिए ग्राम स्तर और मोहल्ला स्तर पर पुलिस की ओर से एक रजिस्टर तैयार किया गया है. इसमें गांव के तमाम विवादों के साथ-साथ संभावित प्रत्याशियों के नाम, पते और आपराधिक इतिहास भी दर्ज किया जा रहा है. पंचायत चुनावों में संवेदनशीलता चरम पर होती है. ऐसे में हर गांव की संवेदनशीलता को आंकते हुए संभावित अपराधों और विपरीत कानून व्यवस्था से पैदा होने वाली स्थिति से निपटने के लिए पहले ही तैयारी की जा रही है. पुलिस महानिदेशक कार्यालय के एक अधि‍कारी बताते हैं, “हर जिले के सभी गांव, मोहल्लों का अलग-अलग रजिस्टर तैयार किया गया है. जिसमें हर तरह के विवाद के साथ-साथ संभावित प्रत्याशियों का भी ब्यौरा जुटाया जा रहा है. आपराधिक इतिहास वाले संभावित प्रत्याशियों को अगर शस्त्र लाइसेंस जारी हुआ है तो उसे किन परिस्थितियों में निरस्त नहीं किया गया, इसका कारण भी रजिस्टर में अंकित करना होगा.”




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