कहा जाता है कि कृष्ण जी कुंती के पास जाकर कहे थे कि आप (बुआ) उनसे कोई वरदान मांग लें। इस पर कुंती ने कहा था कि यदि आप मुझे कोई वरदान देना ही चाहते हैं तो मुझे दुख भोगने का वरदान दीजिए।
इस प्रसंग में उस घटनाक्रम का उल्लेख किया गया है जब कुंती भगवान श्रीकृष्ण से दुख भोगने का वरदान मांगती हैं। जी हां, ऐसा कहा जाता है कि कृष्ण जी कुंती के पास जाकर कहे थे कि आप (बुआ) उनसे कोई वरदान मांग लें। इस पर कुंती ने कहा था कि यदि आप मुझे कोई वरदान देना ही चाहते हैं तो मुझे दुख भोगने का वरदान दीजिए। बताते हैं कि कुंती के इस जवाब से कृष्ण जी को भी काफी आश्चर्य हुआ था और उन्होंने उनसे इसकी वजह पूछी थी।
प्रसंग के मुताबिक कुंती ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि मैं हमेशा आपका साथ चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि हमेशा आपकी कृपा मेरे ऊपर बनी रहे। ऐसे में मैं जब भी दुखी रहूंगी, आपको ही याद करूंगी। यह मानव का स्वभाव बताया जाता है कि वह जब भी दुखी होता है, उसे भगवान की याद आती है। दूसरी तरफ, जब मानव प्रसन्न होता है उस वक्त उसे भगवान की याद बिलकुल भी नहीं आती।
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