लाश को रात में क्यों नही छोड़ना चाहियें अकेले, जानिऐ खतरनाक सच्चाई…

हमारे हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि किसी भी व्यक्ति को सूर्यास्त के बाद श्मशान में नही ले जाया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति का अंतिम संस्कार सूर्यास्त के बाद नही किया जाता है, और इस परंपरा का सारे देश में पालन किया जाता है। यही वजह है कि जब किसी व्यक्ति का निधन शाम के समय या रात के समय हो जाता है तो उसे अलगे दिन सूरज उदय होने के बाद ही श्मशान भूमि में ले जाया जाता है। और सूर्योदय के बाद ही मृतक व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जाता है।

आपको बता दें कि निधन के बाद के भी कई संस्कार होते हैं, इन सारे बातों का वर्णन विस्तार से गरुड़पुराण में किया गया है। इसमें मृतक से जुड़े सभी संस्कारों के बारे में एवम मृतक व्यक्ति के प्रेत आत्मा की मुक्ति हेतु किये जाने वाले सभी कर्मों के विषय में विस्तार से उल्लेख किया गया है।

अक्सर देखा जाता है कि जब किसी व्यक्ति का निधन अगर सूर्यास्त के बाद होता है तो उसके पार्थिव शरीर को परिवार के सदस्य घेर कर अगले दिन तक सहेज के बैठे रहते हैं। इस दौरान मृतक के पार्थिव शरीर के पास में सुगंधित अगरबत्ती दिया आदि जलाया जाता है। मृतक के सिर के तरफ धूप और दिया जलाया जाता है और घर के मुख्य दरवाजे पर गोबर के बने उपले को जला कर रखा जाता है।

मान्यता है कि इस तरह की चीजें परिवार वालों के द्वारा एक उद्देश्य के तहत की जाती है, यह सभी कार्यों का उल्लेख शास्त्रों में किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि रात्रि के समय मृतक के पार्थिव शरीर मे कोई भी बुरी आत्मा आसानी से कब्जा कर सकती है। जो कि अन्य लोगो को हानि पहुँचा सकती है। इस तरह धूप एवम दीप जला कर एवम मृतक के पार्थिव शरीर को अकेले न छोड़ कर किसी बुरी आत्मा के प्रवेश को पार्थिव शरीर मे होने से रोका जाता है। इसलिए यह सारे नियम बनाये गए हैं।




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