आईएएस हमारे देश के सच्चे सेवक और हमारी सुरक्षा के लिए एक मुख्य भूमिका निभाते हैं। इनका अपना एक रूतबा और मान-सम्मान होता है। ऐसे ही हमारे बीच में राजस्थान से एक जांबाज हवलदार विजय सिंह गुर्जर है। जो कि झुंझुनूं जिले के नवलगढ़-उदयपुरवाटी मार्ग पर स्थित गांव देवीपुरा का रहने वाला था। जिसका सपना एक बहुत बड़ा ऑफिसर बनना था, जिस सपने को वो पूरा करने में अपना दिन-रात एक कर रहा था। अपने घर का खर्चा और अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए विजय सिंह गांव में ऊंट चराता था और खेतों में उनके द्वारा जुताई का कार्य भी करता था। उन्हीं ऊंटों को मेले में बेचकर अपने घर का पालन-पोषण करता था। लेकिन ऊंट बेचकर वो चंद रूपये ही कमा पाता था, जो कि उसकी खुद की पढ़ाई के लिए भी कम पड़ जाते।
विजय सिंह के परिवार में कोई ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था। फिर भी विपरित परिस्थितियों में विजय सिंह पढ़ाई करता रहता था। लोग उसका मजाक उड़ाते थे और ताना मारते थे कि यह कोई सरकारी नौकरी भी नहीं लग सकता। ऐसे में उन्होंने सरकारी नौकरी पाने का लक्ष्य साधा और सन 2010 में दिल्ली पुलिस में हवलदार के पद पर अपनी सरकारी नौकरी को पा भी लिया। इसमें विजय सिंह को सफलता का स्वाद नहीं आया। विजय सिंह ओर आगे बढ़ना चाहता था, वो हवलदार के पद तक ही सीमित नहीं रहना चाहता था। ऐसे में उन्होंने और अधिक परिश्रम किया और अन्य कई तरह की सरकारी नौकरियों का भी ऑफर उनको आ चुका था। लेकिन उन सब नौकरी को विजय सिंह ने ठुकरा दिया। क्योंकि वह एक आईपीएस बनना चाहता था।
इसके बाद विजय सिंह इंस्पेक्टर के पद के लिए तैयारी करने लगा और वो उसमें सफल भी हुआ। फिर उन्होंने सोचा अगर वह हवलदार से इंस्पेक्टर बन सकता है, तो वह आईएएस भी बन सकता है। लगातार परिश्रम करते हुए विजय सिंह ने युनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की सैल्फ स्टडी करनी शुरू की। नौकरी के साथ पढ़ाई करते-करते विजय सिंह युपीएससी के पेपर में सफल हो गया और आईपीएस बन गया। लगातार संघर्ष और लगन से विजय सिंह ने अपने सपने को पूरा कर दिखाया और अपने गांव व माता-पिता का नाम रोशन किया। इसके बाद विजय सिंह गुर्जर ने सन 2015 में सीकर के गांव भादवासी की सुनिता के साथ विवाह किया और हर सुख और सम्मान से अपना आगे का सफर शुरू किया। विजय सिंह के संघर्ष की कहानी से आज के नौजवान साथी बहुत कुछ सीख सकते हैं और अपने हर सपने को प्राप्त कर सकते है।
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