जब पूरा देश तब्लीगी जमात के कुकृत्य की आलोचना कर रहा है तब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री जमात के समर्थन में खड़ी दिखाई दे रही हैं। उनकी सरकार की ओर से न ही तब्लीगी जमात से जुड़े संक्रमित लोगों का आंकड़ा सामने लाया जा रहा है और न ही इन पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पश्चिम बंगाल सरकार को छोड़कर लगभग सभी प्रदेश सरकारें कड़ाई से पालन कर रही हैं। सभी राज्य कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं और समाज में भय का कोई वातावरण न बने इसके लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को भी चलाया जा रहा है।
ज्ञात हो कि भारत में कोरोना के संक्रमण का मुख्य केंद्र “निजामुद्दीन मरकज” जहां से तब्लीगी जमात से जुड़े मुस्लिमों के माध्यम से भारत के 18 राज्यों में कोरोना संक्रमण फैला। इस संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान सहित अन्य राज्य हैं। बंगाल भी इससे अछूता नहीं है। मरकज से 73 तब्लीगी जमात के लोग जिसमें कुछ रोहिंग्या मुस्लिम भी थे, हावड़ा आए और उन्होंने यहां पर भी कोरोना का संक्रमण फैलाया। ऐसी स्थिति में राज्य ही नहीं बल्कि पूरा देश तब्लीगी जमात के कुकृत्य की आलोचना कर रहा है। लेकिन इसके ठीक उल्ट पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री जमात के समर्थन में ही खड़ी दिखाई दे रही हैं। उनकी सरकार न ही तब्लीगी जमात से जुड़े संक्रमित लोगों का आंकड़ा सामने ला रही है और न ही इन पर कड़ी कार्रवाई कर रही है। उल्टे सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि कोरोना को किसी मजहब से न जोड़ा जाए। लेकिन हकीकत सबके सामने है कि कोरोना किसके चलते फैला। इसका केंद्र कहां था और कौन लोग हैं जो इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं।
ममता क्यों दे रहीं जमात को समर्थन
पश्चिम बंगाल के 24 दक्षिण परगना, 24 उत्तर परगना, नदिया, मुर्शिदाबाद, मालदा, पूर्व एवं पश्चिम दिनाजपुर, बर्द्धमान-पूर्व, यह सभी मुस्लिम बहुल क्षेत्र हैं। यहां पूरी तरह से मुसलमानों का दबदबा है। यह इतने व्यापक क्षेत्र हैं कि लगभग 100 विधान सभा सीटों पर मुस्लिमों का प्रभाव है। यहां तब्लीगी जमात, जमाते-मुस्लिम ऑफ बांग्लादेश, पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, सिमी जैसे कट्टरपंथी संगठनों का दबदबा है और यहां इनके ही इशारे पर मुस्लिम वोट करते हैं। इसलिए ममता बनर्जी सत्ता में बने रहने के लिए इस वोट बैंक को किसी भी कीमत पर नाराज नहीं कर सकतीं। कोलकाता के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार सुमन भट्टाचार्य कहते हैं कि की टीएमसी को सबसे ज्यादा फंडिंग मुस्लिम सौदे से ही आती है। वोट भी एकमुश्त मिलता है। ऐसे में मुख्यमंत्री इस समुदाय को किसी भी कीमत पर नाराज नहीं कर सकतीं। इसी तरह राज्य के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन के प्रमुख रहे तपन घोष मानते हैं कि बंगाल में 35 प्रतिशत से भी ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या है, जो कि ममता का एकमुश्त वोट बैंक है। साल, 2021 में प्रदेश में विधान सभा चुनाव होने है। वे चुनावों को ध्यान में रखते हुए किसी भी कीमत पर इस समुदाय को नाराज होने नहीं देना चाहती हैं। इसलिए तब्लीगी जमात के पक्ष में खड़ी हो गई हैं और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में उन्होंने लॉकडाउन को लेकर कोई कड़ाई नहीं दिखाई। यकीनन उनके इस कृत्य ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा उत्पन्न कर दिया है।
राज्य में अराजकता फैलाने में दिया पूरा सहयोग
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने मुस्लिम प्रेम के लिए जानी जाती हैं। कुछ महीने पहले उन्होंने तुष्टीकरण की राजनीति की आड़ लेकर धमकी देते हुए कहा था कि अगर एनआरसी लागू हुआ तो देश में गृहयुद्ध हो जाएगा। और संसद में जब नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) बना तो पश्चिम बंगाल में इसके विरोध में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। सार्वजनिक संपत्ति को जमकर नुकसान पहुंचाया गया। लेकिन राज्य सरकार की ओर से एक बार भी सच बात यहां केे लोगों को नहीं बताई गई। उनको एक बार भी नहीं बताया गया कि इस कानून से किसी भी मुस्लिम की नागरिकता नहीं जाएगी। यह कानून नागरिकता देने का है न कि लेने का। उल्टे तृणमूल और सरकार की ओर से लोगों को भड़काने और उकसाने वाले बयान ही आते रहे और राज्य के मुस्लिम समुदाय को भ्रमित किया जाता रहा। खबरों की मानें तो इस कार्य में प्रदेश सरकार को पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया व ओवैसी की पार्टी का प्रत्यक्ष समर्थन भी प्राप्त था।
मुस्लिम क्षेत्रों में उड़ती लाॅकडाउन की धज्जियां
कोरोना संक्रमण के चलते सब कुछ बंद किया गया था। देश के मठ-मंदिर से लेकर मस्जिद और अन्य पांथिक स्थल। लेकिन लेकिन राज्य में मुस्लिम प्रभाव वाले क्षेत्रों में लॉकडाउन की न केवल खुलेआम धज्जियां उड़ती दिखाई दी बल्कि मस्जिद व मदरसों में पूर्व की भांति सभी गतिविधियां चल रही हैं। हालांकि जब केंद्र सरकार की ओर से एक कड़ा पत्र राज्य के मुख्य सचिव को लिखा गया तब जाकर ममता सरकार ने मस्जिद एवं मदरसों पर कुछ कार्रवाई करते हुए ताला बंदी करवाई। इसी प्रकार से कोलकाता के गार्डनबीच, मीटियाबुर्ज, राजाबाजार, पार्कसर्कस, नकेलडंगा, तोपसिया, इकबालपुर इलाकों में लॉकडाउन का कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है।
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