कुंवर सिंह इंटर कॉलेज में सरस काव्य गोष्ठी : रचनाओं ने छुए समाज, समय और संवेदना के स्वर


बलिया। शहर के कुंवर सिंह इंटर कॉलेज में साहित्य चेतना समाज के बैनर तले एक सरस एवं मनभावन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें कवियों ने समाज, समय, संवेदना और लोकजीवन के विविध आयामों को अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रभावी रूप में प्रस्तुत किया।

गोष्ठी की शुरुआत डॉ. कादंबिनी सिंह के वाणी-वंदना “शारदे मेरे मन से अंधेरा हरो” से हुई। तत्पश्चात डॉ. सुभाष चंद्र सिंह ने अपनी रचना “जन्म लेने लगे क्रूरता/रब को इतना भी क्या चाहना” के माध्यम से मजहबी कट्टरता पर चोट की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुंवर सिंह इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं ग़ज़लकार डॉ. शशि प्रेमदेव ने अपनी ग़ज़ल —
“यह उनकी बदनसीबी है कि दिन की रोशनी में भी /
कभी अंधों को अच्छे दिन दिखाई दे नहीं सकते”
सुनाकर श्रोताओं को सोचने पर विवश कर दिया।

पूर्व प्रधानाचार्य एवं वरिष्ठ कवि रामेश्वर सिंह ने अपनी विशिष्ट शैली में कम शब्दों में गहरे अर्थ वाली रचनाओं द्वारा माहौल को आह्लादित कर दिया। संस्था के संयोजक डॉ. नवचंद्र तिवारी ने समय-संदर्भ और ग्रामीण जीवन को उकेरती हुई अपनी चर्चित पंक्तियाँ —
“साथ निभावे वाला मनई कंहवा लउके अब भाई,
रीति–प्रीति में अव्वल गंवई कंहवा लउके अब भाई”
सुनाकर जमकर वाह-वाही लूटी।

श्रीमती श्वेता पांडेय मिश्रा ने आरक्षण से प्रभावित मेधावी प्रतियोगियों की पीड़ा को अपनी कविता में मार्मिक ढंग से उकेरा। 

डॉ. कादंबिनी सिंह ने अपनी ग़ज़ल —
“कुछ न कुछ राब्ता रहता है हर इक से लेकिन,
जी लगा उससे तो जाना कि मोहब्बत क्या है”
से तालियां बटोरीं।

सुशीला पाल ने “चाह कर भी तुझे पा सके हम कहां से” सहित प्रेमप्रधान गीतों व मुक्तकों से गोष्ठी में रस की धारा बहा दी।

कार्यक्रम में रेवती इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल अनिरुद्ध सिंह, शिक्षक अनिल सिंह, विजेंद्र प्रताप सिंह, दया मिश्र, पूर्व प्रधानाचार्य कामेश्वर नाथ, जितेंद्र कुमार सिंह, अमित कुमार सिंह, अजय कुमार सिंह, स्वामी नाथ रावत सहित सम्मानित उपस्थितगण मौजूद रहे। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. शशि प्रेमदेव ने की एवं संचालन श्रीमती श्वेता पांडेय मिश्रा ने सफलतापूर्वक किया।



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