बांसडीह, बलिया। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में हर वर्ष आने वाली बाढ़ एक स्थायी त्रासदी बन चुकी है। गंगा, सरयू और तमसा जैसी नदियों का रौद्र रूप यहां के जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर देता है। खासकर बलिया जनपद और उसमें स्थित बांसडीह क्षेत्र, वर्षों से बाढ़ की विभीषिका का शिकार रहा है। यहां के लोग बाढ़ से होने वाले नुकसान, बेघर होते परिवारों और नाव से आने-जाने की मजबूरी को भलीभांति समझते हैं — क्योंकि उन्होंने इसे अपनी आंखों से झेला है।
लेकिन हर अंधेरे में एक उम्मीद की किरण होती है। और इस क्षेत्र की उम्मीद बनीं – श्रीमती केतकी सिंह, जो लगभग 14 वर्ष पूर्व मैरीटार गांव से निकलकर बांसडीह क्षेत्र में जनसेवा के संकल्प के साथ सक्रिय हुईं। एक सामान्य महिला, एक परिवार की बहू, एक मां — लेकिन इनमें कुछ अलग था। इनकी इच्छाशक्ति, सेवा-भाव और दृढ़ निश्चय ने उन्हें आम से खास बना दिया।
संघर्ष की परीक्षा, सेवा का संकल्प
क्षेत्र की जनता ने उन्हें परखा, उनके इरादों की परीक्षा ली। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। एक लम्बे समय तक– बाढ़ पीड़ितों के बीच जाकर, उनकी समस्याओं को सुनकर, धरातल पर काम करके – उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि राजनीति केवल सत्ता नहीं, सेवा का माध्यम भी हो सकती है। और अंततः वर्ष 2022 में, जनता ने उन्हें अपने विश्वास के रूप में विधायक के रूप में चुना।
बाढ़ पर निर्णायक प्रहार
आज जब हम बाढ़ की स्थिति पर नजर डालते हैं, तो फर्क साफ नजर आता है। बांसडीह का वह इलाका, जो कभी हर साल पानी में डूब जाता था — अब सुरक्षित है। कई ठोकरों का निर्माण हुआ है, जिसकी वजह से सरयू नदी की धारा को नियंत्रित किया जा सका। जलप्रवाह के खिलाफ तकनीकी उपाय, समय पर बचाव कार्य और प्रशासनिक सतर्कता ने इस क्षेत्र को एक नई पहचान दी है।
खादीपुर से भोजपुर तक... जनता के बोलते अनुभव
हमारी मुलाकात हाल ही में खादीपुर ग्रामसभा के कुछ ग्रामीणों से हुई। उन्होंने गर्व के साथ बताया — “आज हम सुरक्षित हैं तो केवल केतकी सिंह जी की वजह से। उन्होंने वह किया जो आजादी के बाद कोई और नहीं कर सका।” इसी तरह खादीपुर से मझवा, भोजपुर जो कि बांसडीह नगर पंचायत के वार्ड 9 में आता है, वहां का हाल भी बदला है। कुछ साल पहले तक यह क्षेत्र नाव से आने-जाने को विवश था, लेकिन अब वहां की गलियां सूखी हैं, और लोग राहत की सांस ले रहे हैं।
केवल घोषणाएं नहीं, जमीनी बदलाव
सच कहा जाए तो, श्रीमती केतकी सिंह जी ने केवल घोषणा नहीं की, धरातल पर बदलाव कर दिखाया। और यह बदलाव मात्र तीन वर्षों में संभव हुआ है। जबकि पिछली सरकारों में यह क्षेत्र केवल वादों से बहलाया गया। वह सभी दावे, जो वर्षों से केवल भाषणों और कागजों तक सीमित थे — अब वास्तविकता में तब्दील हो चुके हैं।
भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित भविष्य
केतकी सिंह की यह पहल न केवल वर्तमान पीढ़ी को राहत देती है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करती है। जो बच्चे कभी बाढ़ के पानी में स्कूल जाने से डरते थे, आज वे बिना बाधा स्कूल पहुंच रहे हैं। यह बदलाव सिर्फ भौतिक नहीं, मानसिक और सामाजिक रूप से भी क्षेत्र को सशक्त बना रहा है।
आज जब हम बांसडीह की ओर देखते हैं, तो सिर्फ पानी से भरे खेत और डूबती बस्तियां नहीं दिखतीं — अब दिखती है सुरक्षा, आश्वासन और विकास की मजबूत नींव। और यह सब संभव हुआ है उस महिला जनप्रतिनिधि की बदौलत, जिन्होंने अपने दायित्व को सेवा का संकल्प माना।
हमें गर्व है कि हमारे क्षेत्र की बागडोर ऐसी कर्मठ, संवेदनशील और दूरदर्शी नेता श्रीमती केतकी सिंह के हाथों में है।
आभार सहित – बांसडीह की जनता।
प्रतुल कुमार ओझा ✍️
बांसडीह, बलिया (उ.प्र.)
0 Comments