श्रवण बाधित बच्चों के लिए वरदान बनी काॕक्लियर इम्प्लांट सर्जरी


IMS BHU के ENT विभाग में सुनने की उम्मीद को मिल रही है नई ज़िंदगी

डॉ. एस.के. अग्रवाल बोले – "जब तीन साल बाद बच्चे ने पहली बार पिता की आवाज़ सुनी, तो उसकी मुस्कान ने सबका दिल छू लिया"

वाराणसी। श्रवण बाधित बच्चों के लिए अब सुनने और बोलने की दुनिया कोई सपना नहीं, बल्कि एक साकार होती हकीकत है। IMS-BHU के ईएनटी विभाग में नियमित रूप से की जा रही काॕक्लियर इम्प्लांट सर्जरी ऐसे बच्चों के जीवन में नई रोशनी लेकर आ रही है, जो जन्मजात या किसी कारणवश सुनने की क्षमता से वंचित हैं।

इस विषय में हमारे संवाददाता ने विभागाध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुशील कुमार अग्रवाल (डॉ. एस.के. अग्रवाल) से विशेष बातचीत की। डॉ. अग्रवाल ने भावुक होते हुए बताया:

👉"जब तीन साल बाद एक बच्चे ने पहली बार अपने पिता की आवाज़ सुनी, तो उसकी आंखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान देख कर हम सब की आंखें नम हो गईं। यह सर्जरी सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि एक उम्मीद है–पुनर्जीवन का माध्यम।"

पूर्वांचल से नेपाल तक बच्चों को मिल रहा लाभ

IMS BHU का ईएनटी विभाग न केवल पूर्वांचल बल्कि बिहार, झारखंड और नेपाल तक के बच्चों के लिए यह चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा रहा है। डॉ. अग्रवाल के अनुसार, काॕक्लियर इम्प्लांट एक कृत्रिम उपकरण है, जिसे शल्यचिकित्सा द्वारा कान के भीतरी हिस्से में लगाया जाता है और यह श्रवण बाधित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है।

0 से 6 वर्ष तक के बच्चों के लिए कारगर है यह सर्जरी

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि यह सर्जरी विशेष रूप से 0 से 6 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों पर प्रभावी होती है।

👉"आदर्श स्थिति में यह सर्जरी एक वर्ष की आयु से पहले होनी चाहिए, जिससे बच्चा सामान्य बच्चों के समान भाषा और श्रवण कौशल विकसित कर सके," उन्होंने कहा।

सरकारी योजनाओं के तहत नि:शुल्क उपचार

इस इम्प्लांट सर्जरी को राज्य और केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के अंतर्गत नि:शुल्क किया जा रहा है। इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को भी सुनने का अवसर देना है।

हर बुधवार जागरूकता शिविर

ईएनटी ओपीडी, BHU में हर बुधवार को विशेष जागरूकता शिविर लगाया जाता है। इसमें श्रवण हानि से पीड़ित बच्चों की जांच, स्क्रीनिंग और परामर्श दिया जाता है।

👉"अगर बच्चा तेज आवाज़ पर भी प्रतिक्रिया नहीं देता, देर से बोलता है या बिल्कुल नहीं बोलता, तो तुरंत जांच करानी चाहिए," डॉ. अग्रवाल ने कहा।

हर 1000 में से 4–6 बच्चों को होती है जन्मजात श्रवण हानि

डॉ. अग्रवाल के अनुसार, भारत में जन्म लेने वाले हर 1000 बच्चों में से 4 से 6 बच्चे जन्मजात श्रवण हानि से प्रभावित होते हैं। इनका समय पर निदान और उपचार इनकी पूरी ज़िन्दगी बदल सकता है।

भविष्य में शिक्षा और सामाजिक जीवन में सुधार

काॕक्लियर इम्प्लांट से बच्चों को न केवल सुनने में मदद मिलती है, बल्कि उनकी भाषा, शिक्षा और सामाजिक सहभागिता में भी उल्लेखनीय सुधार होता है। ये बच्चे अब सामान्य विद्यालयों में पढ़ाई कर पा रहे हैं और आत्मविश्वास के साथ जीवन जी रहे हैं।

BHU का ENT विभाग – आशा की नई किरण

BHU का ENT विभाग और डॉ. एस.के. अग्रवाल जैसे समर्पित चिकित्सकों का कार्य न सिर्फ चिकित्सा की दृष्टि से, बल्कि सामाजिक समावेशन और समान अवसर उपलब्ध कराने के लिहाज से भी बेहद सराहनीय है।

डॉ. अग्रवाल ने अंत में बताया कि ENT विभाग की ओपीडी में हर बुधवार को नाक, कान और गले से संबंधित किसी भी उम्र के मरीज नि:शुल्क परामर्श और उपचार प्राप्त कर सकते हैं।

डॉ. एस.के. अग्रवाल 

ईएनटी विभाग, आईएमएस बीएचयू

ओपीडी- प्रत्येक बुधवार

चेंबर नं0 - 19

 मो0 नं0-9918880048, 7275721672

(रिपोर्ट : पंडित विजेंद्र कुमार शर्मा)






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