लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लंबे समय से चल रही डीजीपी पद को लेकर अटकलों पर अब विराम लग गया है। योगी सरकार ने वर्ष 1991 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण को प्रदेश का नया पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त कर दिया है। शनिवार देर शाम उनकी नियुक्ति पर मुहर लगाई गई।
पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार की 31 मई को सेवानिवृत्ति के बाद सेवा विस्तार की चर्चाएं चल रही थीं, लेकिन सरकार ने नया चेहरा तय करते हुए स्थायी डीजीपी के रूप में राजीव कृष्ण का चयन किया। वे फिलहाल कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर कार्यरत थे। इससे पहले चार अन्य कार्यवाहक डीजीपी भी नियुक्त किए जा चुके हैं।
बीहड़ों में चला चुका है सख्त अभियान
राजीव कृष्ण अपराध नियंत्रण के मामले में सख्त और प्रभावशाली कार्यशैली के लिए पहचाने जाते हैं। बीहड़ों में अपराधियों के खिलाफ उनकी कार्रवाई खूब चर्चा में रही। वे दो बार लखनऊ पुलिस के मुखिया (डीआईजी/एसएसपी) के पद पर भी तैनात रह चुके हैं। उनकी पहली तैनाती वर्ष 2010 में हुई थी।
भर्ती बोर्ड की जिम्मेदारी भी संभाली
उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान के डीजी रहते हुए राजीव कृष्ण को पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वर्ष 2023 की सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद सरकार को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा था। इस परीक्षा को रद्द करना पड़ा, जिसके बाद नए सिरे से परीक्षा कराने की जिम्मेदारी राजीव कृष्ण को सौंपी गई। उन्होंने यह कार्य बिना किसी विवाद के सफलतापूर्वक सम्पन्न कराया।
परिवारिक पृष्ठभूमि
राजीव कृष्ण की पत्नी मीनाक्षी सिंह एक वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी हैं और वर्तमान में सीबीडीटी, नोएडा में डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत हैं।
प्रशांत कुमार समेत छह आईपीएस सेवानिवृत्त
पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार के साथ शनिवार को कुल छह वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए। इनमें डीजी कारागार पीवी रामाशास्त्री, डीजी दूरसंचार डॉ. संजय एम. तरडे, डीआईजी महिला व बाल सुरक्षा संगठन किरन यादव, डीआईजी सतर्कता अधिष्ठान डॉ. अरविन्द चतुर्वेदी, और डीआईजी कार्मिक तेज स्वरूप सिंह शामिल हैं। प्रशांत कुमार को छोड़कर शेष अधिकारियों का विदाई समारोह पहले ही हो चुका था।
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