अखिल रेल हिंदी नाट्योत्सव-2024 में वाराणसी मंडल को प्रथम प्रेरणा पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ निर्देशन एवं अभिनेता पुरस्कार प्राप्त


वाराणसी 07 जून, 2025; रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) के तत्वावधान में क्षेत्रीय रेल प्रशिक्षण संस्थान, भुसावल में दिनांक 02.06.2025 से दिनांक 07.06.2025 तक आयोजित अखिल रेल हिंदी नाट्योत्सव-2024 में वाराणसी मंडल को सर्वश्रेष्ठ निर्देशन, अभिनेता एवं प्रथम प्रेरणा पुरस्कार प्राप्त। इस नाट्योत्सव में अखिल रेल के 18 नाटक दल ने भाग लिया। वाराणसी मंडल की नाटक टीम ने पूर्वोत्तर रेलवे का प्रतिनिधित्व करते हुए हिस्सा लिया और नाटक 'बड़े भाई साहब' का मंचन किया। नाट्योत्सव के अंतिम दिन आयोजित पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में महाप्रबंधक/मध्य रेलवे श्री धर्मवीर मीणा एवं निदेशक राजभाषा/रेलवे बोर्ड डा वी.सुगुणा द्वारा वाराणसी मंडल के नाटक को प्रथम प्रेरणा पुरस्कार प्रदान किया गया तथा नाटक 'बड़े भाई साहब' में बेहतरीन अभिनय के लिए वाराणसी मंडल के नाट्य निर्देशक अमन श्रीवास्तव को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अवसर पर मंडल रेल प्रबन्धक/भुसावल श्रीमती इति पाण्डेय, प्रधानाचार्य क्षेत्रीय रेल प्रशिक्षण संस्थान/मध्य रेलवे/भुसावल डा राम निवास मीणा एवं वाराणसी मंडल की नाटक टीम के सदस्य कमर्चारी श्री विद्या भूषण तिवारी, श्री अमन श्रीवास्तव, श्री अंकित कुमार, सुश्री श्रेया तिवारी, सुश्री अर्चना कुमारी, श्रीमती अनु रानी राव, श्री अमरजीत कुमार, श्री क्षितिज भूषण तिवारी, श्री कृष्णा कुमार सिंह, सुश्री अर्चना कुमारी, श्रीमती लक्ष्मी, श्री अजय कुमार सिंह, श्रीमती अनु श्रीवास्तव, श्री तन्मय मिश्रा, श्री नागेश्वर नाथ श्रीवास्तव, श्रीमती आशा शर्मा एवं सहयोगी कर्मचारी उपस्थित थे।


वाराणसी की टीम द्वारा प्रस्तुत नाटक 'बड़े भाई साहब' मुंशी प्रेमचंद द्वारा इसी शीर्षक से रचित कहानी का नाट्य रूपांतरण है। प्रेमचंद की कहानियाँ हमेशा से शिक्षाप्रद रही हैं। उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से हमेशा किसी-न-किसी समस्या पर प्रहार किया है। नाटक ‘बड़े भाई साहब’, समाज में समाप्त हो रहे कर्तव्यों के अहसास को दुबारा जीवित करने का प्रयास है। इस कहानी में बड़े भाई साहब अपने कर्तव्यों को संभालते हुए, अपने छोटे भाई के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा कर रहे हैं। उनकी उम्र इतनी नहीं है, जितनी उनकी ज़िम्मेदारियाँ है। लेकिन उनकी ज़िम्मेदारियाँ उनकी उम्र के आगे छोटी नज़र आती हैं। वह स्वयं के बचपन को छोटे भाई के लिए तिलाजंलि देते हुए भी नहीं हिचकिचाते हैं। उन्हें इस बात का अहसास है कि उनके गलत कदम छोटे भाई के भविष्य को बिगाड़ सकते हैं। वह अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ करने से भी नहीं चूकते। बड़े भाई द्वारा उठाया गया कदम छोटे भाई के उज्जवल भविष्य की नींव रखता है। यही आदर्श बड़े भाई को छोटे भाई के सामने और भी ऊँचा बना देते हैं। यह कहानी सीख देती है कि मनुष्य उम्र से नहीं अपने किए गए कामों और कर्तव्यों से बड़ा होता है। वर्तमान युग में मनुष्य विकास तो कर रहा है परन्तु आदर्शों को भुलता जा रहा है। भौतिक सुख एकत्र करने की होड़ में हम अपने आदर्शों को छोड़ चुके हैं। हमारे लिए आज भौतिक सुख ही सब कुछ है। अपने से छोटे और बड़ों के प्रति हमारी ज़िम्मेदारियाँ हमारे लिए आवश्यक नहीं है। नाटक “बड़े भाई साहब” कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के इन्हीं विचारों एवं आदर्शों को प्रस्तुत करने का प्रयास मात्र है।

अशोक कुमार
जन संपर्कअधिकारी
पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी।




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