विदेशों में भी की जाती है मां सरस्वती की पूजा-अर्चना : डॉ0 गणेश कुमार पाठक


विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना न केवल भारत में, बल्कि विश्व के अनेक देशों में भी की जाती है। इतिहास साक्षी है कि प्राचीन काल से ही भारत के व्यापारिक एवं सांस्कृतिक संबंध भारत के अनेक देशों से रहे हैं और जिन देशों के साथ भारत का सम्पर्क रहा है, उन सभी देशों में उन सभी देशों में भारतीय देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना आज भी की जा रही है। इन देवी-देवताओं में विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना विशेष रूप से की जाती है।

हम जानते हैं कि बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार भी भारत से ही प्रारंभ होकर विश्व के अनेक देशों में हुआ। चूंकि बौद्ध परम्परा में सरस्वती को विशेष महत्व प्रदान किया गया है, अंत: जिन देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ, उन सभी देशों में सरस्वती की पूजा-अर्चना विशेष रूप से की जाती है। बौद्ध की देवी के रूप में सरस्वती की पूजा विशेष रूप से भारत सहित चीन, तिब्बत, जापान, इंडोनेशिया, कंबोडिया, थाईलैण्ड सहित दक्षिणी- पूर्वी एशिया के अन्य द्वीपों में भी की जाती है।

तिब्बत में सरस्वती पूजा : तिब्बत में सरस्वती की पूजा धूम-धाम से की जाती है। तिब्बत से प्राप्त सरस्वती की प्रतिमाओं में सरस्वती को बैठी हुई मुद्रा में अपनी दोनों भुजाओं में वीणा धारण किए हुए प्रदर्शित किया गया है। तिब्बत में ही प्राप्त कुछ प्रतिमाओं में सरस्वती के एक हाथ में वज्र धारण किए हुए दर्शाया गया है। तिब्बत में त्रिमुख एवं एक मुख दोनों तरह की सरस्वती के हाथ में सफेद कमल लिए हुए एवं दाहिने हाथ को वरदमुद्रा में प्रदर्शित किया गया है। तिब्बत में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग आज भी सरस्वती की पूजा-अर्चना अत्यन्त ही हर्षोल्लास के साथ करते हैं।

जापान में सरस्वती पूजा : जापान में सरस्वती की कलात्मक एवं मनोहारी प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं। जापान में भी सरस्वती की प्राप्त प्रतिमाओं में एकमुख एवं त्रिमुख दोनों तरह की प्रतिमाएं हैं। इन प्रतिमाओं में भी सरस्वती के एक हाथ में सफेद कमल एवं दूसरे हाथ को वरदमुद्रा में दिखाया गया है। जापान में सरस्वती की पूजा प्रारंभ में बुद्धि की देवी के रूप में एवं बाद में शक्ति की देवी के रूप में भी करने का उल्लेख मिलता है।

कम्बोडिया, मलेशिया एवं पूर्वी द्वीप समूह के देश : कम्बोडिया, मलेशिया एवं अन्य पूर्वी द्वीप समूह के देशों जैसे-सिंगापुर, जावा, सुमात्रा आदि में भी सरस्वती की बौद्ध कालीन प्राचीन प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं, जो अत्यन्त ही आह्लादित करने वाली, मनोरम एवं कलात्मक हैं। पूर्वी द्वीप समूहों में प्राप्त सरस्वती की विभिन्न मुद्राओं में वीणा के अतिरिक्त पुस्तक, कमल, कमण्डल एवं अक्षमाल लिए हुए वरदमुद्रा में हंस पर सवार दिखाया गया है। सरस्वती की ये प्रतिमाएं भारतीय संस्कृति के अनुरूप ही हैं, किंतु कुछ प्रतिमाएं बौद्ध परम्परा के अनुरूप भी प्राप्त हुई हैं, जिसमें सरस्वती के एक हाथ में श्वेत कमल एवं दूसरा हाथ वरदमुद्रा में है। इन क्षेत्रों में वर्तमान समय में भी सरस्वती की पूजा विद्या की देवी के रूप में वसंतोत्सव के दिन अत्यन्त ही धूम -धाम से एवं हर्षोल्लास के साथ की जाती है।

इण्डोनेशिया में सरस्वती पूजा : इण्डोनेशिया में भी सरस्वती की पूजा धूम-धाम से की जाती है। इण्डोनेशिया में अनेक हिन्दू मंदिर हैं, जहां तमाम हिंदू देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। इस देश में भी वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा मंत्रोच्चार एवं वंदना के साथ शुरू होती है।

उपर्युक्त देशों के अतिरिक्त नेपाल, श्रीलंका, मारीशस, सूरीनाम, गुयाना, फिजी, त्रिनिदाद सहित विश्व के अनेक देशों में विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना अत्यन्त ही धूम-धाम से की जाती है। वर्तमान समय में विश्व के अधिकांश देशों में भारतीय मूल के लोग निवास करते हैं, अंत: ऐसे देशों में भी सरस्वती की जाती है। इस प्रकार वर्तमान समय में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विद्या एवं ज्ञान की देवी के रूप में मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाने लगी है।



डॉ0 गणेश कुमार पाठक ✍️
श्रीराम विहार कालोनी,
माधोपुर, बलिया, उप्र





Comments