बलिया। द्वाबा (बैरिया) के पूर्व विधायक एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सचिव डॉ. भोला पांडेय नहीं रहे। उन्होंने शुक्रवार की सुबह गोमती नगर स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। पिछले कुछ समय से वे बीमार थे। उनके निधन की सूचना मिलते ही चहुंओर शोक की लहर दौड़ गई।
डॉ. पांडे वर्ष 1980 से 1985 तथा 1989 से 1991 तक दो बार कांग्रेस के टिकट पर द्वाबा से विधायक रहे। गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे डॉ. भोला पांडे युवा कांग्रेस में भी विभिन्न पदों को सुशोभित कर चुके है। संगठन की भी जिम्मेदारी निभाई। उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों के वे प्रभारी भी रहे। कांग्रेस के टिकट पर तीन बार सलेमपुर लोक सभा सीट से चुनाव भी लड़े, लेकिन जीत हासिल नहीं हो सकी।
जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अवधबिहारी चौबे ने कहा कि डॉ. भोला पांडेय नेहरू परिवार के दुलारा और भारतीय राजनीति का जगमगाता हुआ तारा थे। कहा कि जो तिरंगा श्रीमती इन्दिरा गांधी ने 1978 में डॉ. पांडेय के हाथ में दिया, उसे उन्होंने तमाम राजनीतिक उतार चढ़ाव के वावजूद नहीं छोड़ा। अन्याय के सामने कभी झुके नहीं। डॉ. पांडेय राजनीति के मर्द राज थे।
नगर के सतनीसराय कत्यायन भवन पर शोक सभा आयोजित कर गतात्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गयी। इस अवसर पर गंगा मुक्ति अभियान के रमाशंकर तिवारी, साहित्यकार डॉ. जर्नादन राय, राजनाथ पांडेय, विजन कुमार चौबे, विजय ओझा, बीरेन्द्र कुमार यादव, प्रबोध कुमार पाण्डेय आदि लोग उपास्थित थे।
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