सर्दियों में नहाते समय न करें ये गलतियां वरना हो सकता है हार्ट अटैक


दिल का दौरा एक ऐसी चीज है जो अचानक आती है और समय पर इलाज न होने पर घातक हो सकती है। हाल ही में सर्दियों में हार्ट अटैक के मामले काफी बढ़ गए हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि नहाते समय अगर आप एक गलती कर देते हैं तो हार्ट अटैक आने की संभावना बढ़ जाती है। सर्दियों में नहाते समय कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए आज हम इसी के बारे में जानने वाले हैं।

सर्दियों में नहाना किसी चुनौती से कम नहीं है क्योंकि नहाते समय एक गलती आपकी जान ले सकती है। कुछ लोगों को सर्दियों में भी ठंडे पानी से नहाने की आदत होती है जो कि गलत है वहीं कुछ लोगों की सर्दियों में गर्म पानी से नहाने की आदत होती है जो दिल के लिए खतरनाक भी हो सकता है।

गर्म पानी से नहाएं : 

सर्दियों में गर्म पानी से नहाना ज्यादा फायदेमंद होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार गर्म पानी से नहाने से शरीर पर कोई असर नहीं पड़ता और शरीर का तापमान स्थिर रहता है। दरअसल, गर्म पानी शरीर के तापमान को बढ़ाता है और ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देता है।

सर्दियों में ठंडे पानी से क्यों नहीं नहाना चाहिए? : 

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मोहाली के फोर्टिस अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. करुण बहल कहते हैं, “सर्दियों में जब हम ठंडे पानी से नहाते हैं तो शरीर में चुभन हो जाती है। हमारा शरीर इस तरह प्रतिक्रिया करता है जैसे कोई आपात स्थिति हो और ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है और हमारा हृदय तेजी से ब्लड को पंप करना शुरू कर देता है। इस तरह हृदय ब्लड सर्कुलेशन को रोक देता है जिससे हमें कंपकंपी होने लगती है जिससे हमारे हृदय पर दबाव भी बढ़ जाता है।” डॉ बहल कहते हैं, “जब आप अपने दिल पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं, तो यह अनियमित दिल की धड़कन या हार्ट अटैक का कारण बन सकता है और एक बड़ी हृदय घटना के लिए ट्रिगर हो सकता है।”

सर्दी के मौसम में दिल के दौरे के खतरे को कम करने के लिए व्यक्ति को क्या करना चाहिए? : 

डॉ बहल कहते हैं कि सर्दियों में ब्लड प्रेशर बढ़ने वाले प्रमुख कारकों में धमनियों का सिकुड़ना, सूरज के संपर्क में कम आना, शारीरिक गतिविधि में कमी के कारण साल्ट रीटेन्शन और ब्लड क्लाटिंग शामिल है। इसलिए व्यक्ति को हल्का भोजन करना चाहिए, पर्याप्त ऊनी कपड़े पहनने चाहिए, शारीरिक गतिविधि और व्यायाम में शामिल होना चाहिए और यदि कोई हृदय संबंधित बीमारी हो तो नियमित दवा लेनी चाहिए। कभी-कभी हाई बीपी के मरीजों को दवा की अधिक खुराक की आवश्यकता होती है। इसलिए आपातकालीन स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए हृदय रोग विशेषज्ञ से डोज को फिर से रिवाइज्ड करवाना चाहिए।

साभार - जनसत्ता 






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