बलिया : फाइलेरिया की रोकथाम के लिए नाइट ब्लड सर्वे हुआ संपन्न

 


-फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्यों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

-गुरुवार की रात पूर गांव में 196 लोगों के लिए गए सैंपल

बलिया, 04 नवंबर 2022। स्वास्थ्य टीम ने गुरुवार रात पंदह ब्लॉक के अंतर्गत पूर ग्राम में 196 लोगों के सैम्पल लिए हैं। यह कार्य सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से गठित काली माई फाइलेरिया नेटवर्क और अन्य के खास प्रयास  हुआ है।सैम्पल लेने के लिए इन सदस्यों ने जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव को अनुरोध पत्र दिया था।


जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के लिए टीम बनाई गई थी। जो रात में लोगों के खून का सैंपल लेकर फाइलेरिया संक्रमण का पता लगाएंगे। इसके परजीवी यानि माइक्रो फाइलेरिया रात में ही सक्रिय होते हैं। उन्होंने बताया कि इसमें 20 साल से अधिक आयु की महिलाओं एव पुरुषों का सैंपल लिया गया। सैंपल लेकर रक्त पट्टिका बनाईं गईं। इसका उद्देश्य फाइलेरिया रोगी मिलने पर उसका तत्काल इलाज मुहैया कराकर जिले को इस रोग से मुक्त बनाना है। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि काली माई फाइलेरिया नेटवर्क के 13 नेटवर्क सदस्यों की ओर से 108 लोगों का नाइट ब्लड सर्वे कराने के लिए जांच स्थान पर आने के लिए मोबलाइज किया गया। जय मां भवानी नेटवर्क पकड़ी के 19 लोगों ने भी अपनी जांच कराई। 27 फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य अहिरौला तथा बनकटा के नेटवर्क सदस्यों ने भी जांच कराई। पांच पीएसजी नेटवर्क के सदस्यों ने 182 लोगों के रजिस्ट्रेशन में सहयोग किया।


 क्या है फाइलेरिया :-

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथीपाँव के नाम से भी जाना जाता है। पेशाब में सफेद रंग के द्रव्य का जाना जिसे काईलूरिया भी कहते हैं जो फाइलेरिया का ही एक लक्षण है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन की समस्या आती है।

 लक्षण : -

1. कई दिन तक रुक-रुक कर बुखार आना।

2. शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन।

3. हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील)।

4. महिलाओं के ब्रेस्ट में सूजन, पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है।

5. संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल तक में दिख सकते हैं।

 बचाव : -

1. लक्षण लगने पर समय से जांच कराकर इलाज शुरू कर दें।

2. फाइलेरिया की दवा का सेवन पांच वर्ष तक हर साल कर बचा जा सकता है।

3. फाइलेरिया के मच्छर गंदी जगह पर पनपते हैं। इसलिए मच्छरों से बचाव करें।

4. साफ़ सफाई रखकर मच्छर से बचने के लिए फुल आस्तीन के कपड़े पहनें।

5. रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।


 जिले का डेटा :- 

जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने बताया कि जिले मे अब तक फाइलेरिया के चिन्हित 1400 मरीज हैं। इन मरीज़ों मे एमएमडीपी किट का वितरण 954 को हुआ है। 

2022 में जनवरी से अब तक 127 मरीज़ मिले हैं। जिनका इलाज़ चल रहा है।

इस नाइट ब्लड सर्वे में फाइलेरिया इंस्पेक्टर ओम प्रकाश पाण्डेय, हरिराम यादव वरिष्ठ लैब टेक्नीशियन, जितेंद्र यादव, आरएनटीडीओ  डॉ नीरज पांडेय, पाथ संस्था के मॉनीटर वेद प्रकाश सिंह, सीफार संस्था के डीसी आशीष पांडेय, डीसी गुलाब चंद्र यादव, बीसी एसएन चौबे, आशा संगिनी सुनीता सिंह, आशा, सुनीता, अंजू, मीना आदि का सहयोग रहा।



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