शुक्ल पक्ष दशमी का,
शुभ अश्विनी मास।
नौ दिन इस दिन में
दसवें दिन विनाश।
वध किया राम ने रावण का,
अधर्म पर धर्म की जीत हुई।
गूँज उठे थे शंखनाद भी,
जब ..पुरुषोत्तम श्री राम की विजय हुई।
लेकिन ..
हे राम! तेरे युग का रावण,
ज्ञानी और अभिमानी था।
अपनी बहन के बहकावे मे उसने,
माँ सीता का हरण किया।
उस युग के रावण ने तो,
सीता का पूर्ण सम्मान किया।
उनकी इच्छा के विरुद्ध,, उसने
ना कोई गलत काम किया।
लेकिन आज ...
हर इंसा के भीतर रावण,
जो खूनी, दरिंदे लगते हैं।
चाहें किसी की माँ, बहन हो या हो बेटी,
इज्जत को तार तार करने में,
तनिक नही हिचकते हैं।
हाँ..
इस युग का रावण,
हर नुक्कड़ पर खड़ा मिलेगा।
आज न जाने कितनी अबलाओं की
आबरू को नोंचता होगा।
अब तो तुम जागो हे मानव,
पुतला जलाने में नही कोई समझदारी।
पहले तुम ..
अपने अंदर बैठे रावण को मारो,
तभी विजय दशमी की,जग में धूम मचेगी भारी।
अब तो बहुत हो चुका भगवन,
लो इस धरती पर अवतार पुनः।
करो धरा को अत्याचार मुक्त,
सुखी तभी होगा संसार पुनः।
स्वरचित✍️
मानसी मित्तल
शिकारपुर, जिला बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश)
सभी को विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं💐🙏
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