चाणक्य नीति : आखिरी सांस तक साथ रहते हैं ये साथी, आंख मूंदकर कर सकते हैं भरोसा


मनुष्य जीवन में कुछ ऐसे साथी जरुर मिलते हैं जो आखिरी सांस तक व्यक्ति का साथ नहीं छोड़ते. जानते हैं कौन है वह साथी जो व्यक्ति के साथ हमेशा रहते हैं.

सुखी जीवन के लिए व्यक्ति को भले-बुरे की पहचान करना आना चाहिए. इसके लिए चाणक्य की नीतिया आपकी मदद कर सकती हैं. चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य जीवन में कुछ ऐसे साथी जरुर मिलते हैं जो आखिरी सांस तक व्यक्ति का साथ नहीं छोड़ते. हालात कैसे भी हो, परिस्थिति प्रतिकूल क्यों न हो यह साए की तरह व्यक्ति का साथ निभाते हैं. आइए जानते हैं कौन है वह साथी जो व्यक्ति के साथ हमेशा रहते हैं.

विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्र गृहेषु च।

व्याधितस्यौषधं मित्र धर्मो मित्रं मृतस्य।।

औषधि : जीवन को तकलीफों से मुक्‍त रखने के लिए निरोगी काया का होना अति आवश्यक है. कलयुग का कड़वा सच है कि गंभीर बीमारी में तो अपने भी साथ छोड़ देते हैं. बस एक औषधि ही ऐसी साथी है जो मृत्यु तक मनुष्य का साथ निभाती हैं. औषधि यानी दवा से ही सेहत में सुधार आता है.

धर्म : धनानामुत्तमं श्रुतम् । लाभानां श्रेय आरोग्यं सुखानां तुष्टिरुत्तमा. अर्थ - धनों में उत्तम शास्त्र-ज्ञान है, लाभ में उत्तम नीरोगी काया और सुखों में उत्तम संतोष है. चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति का शरीर भी उसका साथ छोड़ देता है लेकिन जो मृत्यु के बाद भी साथ भिभाए वो होते हैं उसके कर्म. धर्म-कर्म के काम करने वाला कभी गलत मार्ग पर नहीं जाता है. व्यक्ति के पुण्य ही उसे मृत्यु के बाद भी लोगों के बीच जीवित रखते हैं.

विद्या : विद्या मनुष्य का वो धन है जो खर्च करने पर भी कभी खत्म नहीं होता. श्लोक के जरिए चाणक्य कहते हैं कि ज्ञान व्यक्ति का वह मित्र है जो हर घड़ी उसके साथ होता है. इसकी बदौलत ही वह प्रतिकूल परिस्थिति में भी कामयाबी हासिल कर लेता है. चाणक्य कहते हैं कि ज्ञान जहां से मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिए. विद्या ही मनुष्य की वास्तविक शक्ति है. संसार की हर वस्तु नष्ट हो जाती है ज्ञान मरते दम तक इंसान का साथ नहीं छोड़ता.

Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.





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