जगदीप धनखड़ होंगे देश के अगले उपराष्ट्रपति, विपक्ष की मार्गरेट अल्वा को हराया


पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ 71 वर्ष के हैं और वह राजस्थान के प्रभावशाली जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. उनकी पृष्ठभूमि समाजवादी रही है. जनता दल (यूनाईटेड), वाईएसआर कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, अन्नाद्रमुक और शिवसेना ने धनखड़ का समर्थन किया था.

-जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले, जबकि मार्गरेट अल्वा को सिर्फ 182 वोट से संतोष करना पड़ा.

-मतदान के दौरान 780 में से 725 सांसदों ने अपने मत का इस्तेमाल किया.

-उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत के लिए 390 से अधिक मतों की आवश्यकता थी.

नई दिल्ली. देश के नए उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए शनिवार को हुए मतदान में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ विजयी घोषित हुए हैं. उनका मुकाबला विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा से था. धनखड़ को जहां 528 वोट मिले, वहीं अल्वा को सिर्फ 182 वोट से संतोष करना पड़ा, जबकि 15 वोट अमान्य करार दिये गए. लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, ‘सुबह 10 बजे से शुरू हुआ चुनाव शाम 5 बजे तक चला. इस दौरान 780 में से 725 सांसदों ने अपने मत का इस्तेमाल किया. वोटिंग खत्म होने के तुरंत बाद ही बैलेट बॉक्स को सील कर दिया गया. मतों की गिनती शाम 6 बजे शुरू हुई. कुल 725 वोट (92.94%) डाले गए, जिसमें से 710 वोट (97.93%) ही मान्य थे.’

जीत के लिए 390 से अधिक मतों की आवश्यकता थी. संसद में वर्तमान सदस्यों की मौजूदा संख्या 788 है, जिनमें से केवल भाजपा के 394 सांसद हैं. ऐसे में आंकड़ों के लिहाज से पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल धनखड़ की जीत पहले से ही तय मानी जा रही थी. धनखड़ 71 वर्ष के हैं और वह राजस्थान के प्रभावशाली जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. उनकी पृष्ठभूमि समाजवादी रही है. जनता दल (यूनाईटेड), वाईएसआर कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, अन्नाद्रमुक और शिवसेना ने धनखड़ का समर्थन किया था.

चुनाव में शिकस्त झेलने वालीं अस्सी वर्षीय अल्वा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता हैं और वह राजस्थान के राज्यपाल के रूप में भी काम कर चुकी हैं. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), आम आदमी पार्टी (आप) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने अल्वा के समर्थन की घोषणा की थी. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी अल्वा का समर्थन किया था. लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य उपराष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में शामिल होते हैं. इसमें मनोनीत सदस्य भी मतदान करने के पात्र होते हैं.




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