जानिये : कब है दशहरा, नोट करें विजयदशमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व


हिंदू धर्म में दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस दिन भगवान श्रीराम ने अहंकारी रावण का वध किया था.

हिंदू धर्म में दशहरे  का त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन भगवान राम ने लंका के अहंकारी राजा रावण का वध किया था. हर साल अश्वनी मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को यह त्योहार मनाया जाता है. इसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन जगह जगह पर रावण, उसके भाई कुंभकरण और उसके पुत्र मेघनाथ का पुतला जलाया जाता है. रामलीला का मंचन होता है. भव्य मेला लगता है. लोग बड़े हर्षोल्लास से इस में भाग लेते हैं. भगवान राम ने रावण के जन बल और धन बल के अहंकार को समाप्त करने के बाद उसका वध किया था.

दशहरा की तिथि और शुभ मुहूर्त : 

-अश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का प्रारंभ 4 अक्टूबर दिन मंगलवार को दोपहर 2:20 पर होगा.

-दशमी तिथि का समापन 5 अक्टूबर दिन बुधवार को दोपहर 12:00 बजे होगा.

-विजय मुहूर्त बुधवार को दोपहर 2:07 से 2:54 तक रहेगा.

विजयदशमी की पूजा विधि और महत्व : 

विजयदशमी के दिन प्रातः काल स्नान करके साफ वस्त्र पहनकर प्रभु श्री राम, माता सीता और हनुमान जी की आराधना करते हैं. इस दिन गाय के गोबर से 10 गोले बनाए जाते हैं. उन गोलों के ऊपर जौ के बीज लगाए जाते हैं. उसके बाद धूप और दीप जलाकर भगवान की पूजा की जाती है और गोलों को जला दिया जाता है.

भगवान श्री राम अहंकारी रावण का बंद किया था. इसकी खुशी में झांकियां निकाली जाती हैं. मेले लगते हैं. लोगों का उत्साह देखते ही बनता है. ऐसी मान्यता है कि दशहरा की पूजा समाप्त होने के बाद मन से लोभ, अहंकार की भावना समाप्त हो जाती है.

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