नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने की विशेष विधि है. खास बात यह है कि नाग व्रत करने के लिए एक दिन पहले से ही तैयारी और अनुष्ठान शुरू हो जाता है.
पवित्र सावन मास में महादेव की पूजा और व्रत विधान की परंपरा है. इसी कड़ी में उनके कंठहार नाग देवता को भी ईश्वर का स्वरूप मानकर पूजा जाता है. सावन के महीने का सबसे प्रमुख त्योहार नाग पंचमी को माना गया है. सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी मनाई जाती है. ये उत्सव भगवान शिव और नाग देवता से संबंधित होता है और इस दिन माना गया है कि नाग देवता की पूजा कर कोई भी व्यक्ति सर्प दोष, सर्प योग, अकाल मृत्यु आदि से बच जाता है. इस बार नागपंचमी 2 अगस्त को पड़ रही है.
ऐसे करें नागपंचमी की पूजा
नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने की विशेष विधि है. खास बात यह है कि नाग व्रत करने के लिए एक दिन पहले से ही तैयारी और अनुष्ठान शुरू हो जाता है. जिन लोगों को इस दिन सर्पदोष आदि की पूजा करनी होती है उन्हें, चतुर्थी से ही व्रत का आरंभ करना होता है. इसके लिए चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करें तथा पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करना चाहिए. पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिटटी से सर्प की आकृति- मूर्ति बनाएं. फिर इसे लकड़ी की चौकी के ऊपर स्थान दें. अब नाग देवता का आह्वन करें. आह्मवान करने के लिए धूप, गंध या अगरबत्ती जलाकर प्रतिमा के पास रखें और हाथ जोड़ कर नाग देवता का स्मरण करें.
नाग पंचमी की जरूर सुनें कथा
नाग देवता का आह्वान करने के बाद फिर हल्दी, रोली (लाल सिंदूर), चावल और फूल चढ़कर नाग देवता की पूजा की जाती है. उसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित करें. पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है. इसके बाद नागदेवता की कथा और नाग पंचमी का महात्म्य जरूर सुनें. इससे आपकी पूजा पूर्ण होती है.
पूजा के बाद जरूर करें ये काम
पूजा कर लेने के बाद नाग देवता को चढ़ाए गए दूध को पात्र में थोड़ा बचा लेना चाहिए. इस दूध को बूंद-बूंद करके घर के द्वार पर, कोनों में, रास्तों के किनारे, खेत की मेड़ पर डालना चाहिए. इससे यदि आस-पास कहीं नागदेवता होते हैं तो इस प्रसाद को पाकर प्रसन्न होते हैं. वह अपने स्थान से ही आपकी रक्षा करते हैं.
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