चाणक्य ने 5 ऐसे गुण बताएं है जिसमें से कोई भी गुण अगर व्यक्ति में नहीं है तो वो पशु के समान होता है.
जिस तरह गुरु हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं. हर कदम पर सही रास्ता दिखाते हैं वैसे ही जब हम परेशानियों से घिर जाते हैं तो चाणक्य की नीतियां हमारा मार्गदर्शन करती हैं. नीतिशास्त्र में चाणक्य ने कई ऐसी नीतियां बताई हैं जो मुश्किल समय का सामना करने की क्षमता बढ़ाती है. चाणक्य ने 5 ऐसे गुण बताएं है जिसमें से कोई भी गुण अगर व्यक्ति में नहीं है तो वो पशु के समान होता है.
येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मं:।
ते मत्र्य लोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ।।
विद्या : आचार्य चाणक्य ने अपने श्लोक में कहा है कि जिसके पास विद्या नहीं वो पशु के समान होता है. विद्या ग्रहण करने का अवसर ईश्वर ने सिर्फ मनुष्य को दिया है पशु को नहीं. विद्या वो धन है जो व्यक्ति के पास से कभी खत्म नहीं हो सकता. विद्या से ही जीवन में कामयाबी मिलती है.
तप : जिन लोगों में धार्मिक भावनाएं नहीं होती उनका मन सदा अशांत रहता है. चाणक्य के अनुसार जो नास्तिक प्रवृत्ति के लोग होते हैं उन्हें जीवन में सुकून नहीं मिलता. अच्छे कर्म और प्रभू की आराधना से सफलता के मार्ग खुलते हैं. लक्ष्य को हासिल करने के लिए मनुष्य को तप करना चाहिए.
दान : शास्त्रों में दान का विशेष महत्व बताया गया है. जो व्यक्ति दान करता रहता है उसकी तमाम समस्याओं का निवारण हो जाता है. जरुरतमंदों को किया दान व्यक्ति को धनवान बनाता है. चाणक्य के मुताबिक जो व्यक्ति सिर्फ खुद के लिए पैसा कमाता है लेकिन दान नहीं करता उसके कर्म पशु के समान होते हैं.
शील : चाणक्य के अनुसार शील का तात्पर्य संवेदनशीलता है. अपनी भावनाएं जाहिर करने की सौभाग्य ईश्वर ने मनुष्यों को ही दी है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति सुख या दुख में अपनी संवेदनाएं व्यक्त नहीं कर सकता तो उसका जीवन पशु की भांति होता है.
धर्म : चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति ने अधर्म का मार्ग अपना लिया उसका पतन तय है. ऐसे लोग मनुष्य नहीं पशु की भांति संसार में जीते हैं. धर्म का पालन करने वाला इंसान गलत काम नहीं करता. अच्छे कर्म से व्यक्ति का जीवन सुधर जाता है.
Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
0 Comments