अग्निवीर योजना 2022-विरोध कितना सार्थक : राजेश कुमार सिंह

 


अग्निपथ योजना 2022 की संभवनाएं,अग्निवीर व संशय

भारत के शोरगुल से परिपूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था में लगभग प्रत्येक क्रन्तिकारी परिवर्तन का विरोध भी आज-कल क्रांतिकारी हो चला है। इन विरोधों की प्रकृति भी अब कितनी सकरात्मक रह गयी है यह बहश का विषय है।विगत दिनों, अगर स्प्ष्ट कहें तो 2014 के  बाद भारत में जो भी विरोध हुए उनकी प्रकृति और ब्यापकता को अगर ध्यान से देखा जाए तो उनमे समरूपता प्रतीत होती है। जो विचारणीय है।

अग्निवीर योजना का निर्माण के बारे में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार का बड़ा बयान सामने आया जिसमे उन्होंने उस योजना के बारे में बताया कि सेना ने उक्त योजना पर लगभग डेढ़ वर्ष गहन मंथन कर इसको मूर्त रूप दिया है। यह योजना पूर्णतः भारत में निर्मित और भारत के लिए बनाई गई है। यह एक परिवर्तनकारी योजना है।

अग्निपथ योजना में भर्ती एवं सेवा की उम्र 17-21 वर्ष  है। इन चार वर्षों के दौरान 30000₹ से प्रारम्भ होकर 40000₹ तक उनको वेतन प्राप्त होने हैं। सेवाकाल की समाप्ति पर उनको 11.70₹ के लगभग की एकमुश्त राशि जो उनके वेतन भत्ते से कटी व सरकार के सहयोग से एकत्रित है, केवल प्राप्त होनी है इसके अतिरिक्त कोई भत्ता व पेंशन आदि सुविधा  प्राप्य नहीं है। यह अग्निवीर सेना के तीनो अंगों में भर्ती किये जायेंगे, प्रथम वर्ष में सेना के कुल सशत्र सैन्य बल के 3 प्रतिशत इनकी भर्ती होनी है ।अग्रिम समय मे क्रमिक रूप से इन युवा सैनकों और वरिष्ठ अनुभवी सैनिको का अनुपात 50-50 प्रतिशत करने की दूरगामी योजना है। जिससे भारतीय सशत्र बल कीऔसत आयु 32 वर्ष से घट कर 26 वर्ष करने का लक्ष्य भी प्राप्त हो सकेगा और हमारी सेना विश्व की सर्वाधिक युवा सेना में सुमार हो जाएगी। इन सैनकों को वर्तमान सैनिकों के समान ही सियाचिन आदि दुर्गम क्षेत्रों में मिलने वाले अतिरिक्त भत्ते भी प्राप्त होंगे। सैन्य  सम्मान भी इनको अन्य सशत्र बलों के समान ही प्राप्त होने हैं। शहीद होने की स्थिति में उनके परिजन को। एक करोड़ ₹ की धन राशि भी प्राप्त होगी। इनकी अग्रिम पढ़ाई की व्यवस्था सेना सम्बंधित संस्थानों के माध्यम से करेगी और इनको सेवा के समापन पर 12 वीं का प्रमाणपत्र प्रदान कर ब्रिजकोर्स करवाया जाएगा। जिससे वह सेवा काल की समाप्ति पर अपना अग्रिम लक्ष्य का चयन कर सकें। चार वर्ष की समाप्ति पर इनकी संख्या के 25 प्रतिशत लोगों को उनकी प्रतिभा के आधार पर उक्त सेना में रखा जाएगा अन्य को सेवा मुक्त कर दिया जाएगा।

वायुसेना ने सर्वप्रथम इनकी भर्ती की गाइडलाइन जारी कर दी है जिसके अनुसार इनको 30 दिन का वर्ष में अवकाश प्राप्त होगा इसके अतिरिक्त मेडिकल लीव भी इनको प्राप्त होगी।सेवाकाल के मध्य अग्निवीर नौकरी न छोड़ने की बाध्यता होगी।

तीनो सेनाओं ने नई दिल्ली में 19.06 2022 को संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस किया। जिनमे इनके सौ प्रतिशत पुलिस वेरिफिकेशन की भी बात है। 

सेना के लेफ्टिनेंट जनरल बंशी पुनप्पा के अनुसार सेना में अग्निवीरों कई भर्ती के लिए 01.06.2022 को नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा। जिसके बाद रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाएगी। अगस्त के द्वितीय सप्ताह में भर्ती के लिए पहली रैली होगी जिसमें  फिजिकल व मेडिकल टेस्ट होगा। उसके बाद प्रवेश परीक्षा होगी तत्पश्चात मेरिट के आधार पर उनको कॉलम में भेजा जाएगा। अगस्त से नवम्बर तक दो बैच में रैलियां होंगीं। अग्निवीरों की प्रथम लाट 25 हजार दिसम्बर के प्रथम सप्ताह में आएंगें दूसरा जत्था फरवरी में प्राप्त होगा।

वायु सेना के बाद 21 जून को थल सेना ने भी इनके भर्ती की सधिसूचना जारी कर दी।

अग्निपथ योजना 2022 के दूरगामी लक्ष्य के अनुसार सेवामुक्त अग्निवीरों को आगे का जीवन प्रारम्भ करने हेतु भी योजना बनाई गई है जिसके अनुसार अग्रिम पढ़ाई में रुचि लेने वाले अग्निवीर अपनी 12 वीं के प्रमाणपत्र व ब्रिजकोर्स के आधार पर ऐसा कर सकते हैं। व्यापर में रुचि लेने वाले अग्निवीर अपनी एकमुश्त प्राप्त राशि से व्यापार कर सकते हैं, उनके लिए बैंकों से प्राप्त होने वाले कर्ज शर्त को सरकार सुविधाजनक बनाएगी। अन्य सशत्र बलों की भर्ती में  अग्निवीरों को वेटेज देना भी सरकार की योजना में सम्मिलित है जिससे अग्निवीरों का भविष्य अच्छा हो सके। 

अग्निपथ योजना 2022 का विरोध जितना ब्यापक और हिंशक हुआ और हो रहा है उसकी उम्मीद शायद किसी सम्बंधित जिम्मेदार व्यक्ति को न होगी। नौ सेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार ने बताया है कि ऐसे हिंशक विरोध की उम्मीद नहीं थी। उनके अनुसार हमने इस योजना पर डेढ़ साल लगातार कार्य किया है। यह परिवर्तनकारी योजना भारत मे निर्मित व भारत के लिए निर्मित है, साथ उन्होंने कहा कि युवा इसका  विरोध न करें और हिंशक न हों। 19.06.2022 को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथसिंह ने कहा कि यह योजना किसी भी रूप में वापस नहीं होगी। तीनो सेनाओं के संयुक्त प्रेसवार्ता में युवकों को समझने की कोशिश की गई।

अग्निपथ योजना के विरोध की आग ऐसे क्षेत्रों में जहां के युवा विशेषकर सेना में रूचि लेते हैं उनमें ज्यादे देखने को मिली जैसे बिहार, उत्तर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान, आसाम आदि। युवाओं द्वारा रेलवे का लगभग 500 करोड़ ₹ की अभी तक हानि पहुंचाने की सूचनाएं हैं। अन्य सरकारी विभगों की बसें, गाड़िया भी बहुत छतिग्रस्त कर दिन गईं, पत्थर बाजी भी खूब हुई। झारखण्ड के रांची बिहार के पटना के साथ मध्यप्रदेश का ग्वालियर जिला जो सेना की कोचिंग संस्थानों के लिए देश मे अग्रणी हैं जहां युवा पच्चीस से पचहत्तर हज़ार ₹ तक इन संस्थाओं को सैन्य भर्ती की कोचिंग हेतु शुल्क देते हैं, में भी विरोध बहुत उग्र रहा। उत्तर प्रदेश के एडीजे कानून-ब्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा है कि आकलन किया जा रहा है जल्द ही नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से की जाएगी। 

अग्निपथ योजना के विरोध में 20 जून  को आयोजित भारत बंद रेलवे ने 602 ट्रेनों का परिचालन सतर्कता अपनाते हुए बन्द कर दिया। कुछ स्थानों को छोड़ जन-जीवन, कार्यकलाप सामान्य रहे। इस बन्द को युवा वर्ग का पूर्व के विरोध की भांति व्यापक समर्थन मिलता नहीं दिखा हाँ पुलिस बल सतर्क रहा। इस बन्द को कुछ विपक्षी पार्टियों द्वारा अयोजिय किया गया था।

जब हम अग्निपथ योजना का व्यापक और एकरूपता वाले विरोध का सिंघावलोकन करते हैं तो यह विरोध मुझे कुछ ज्यादे ही हिंशक लगा कारण, ऐसे वर्ग के कुछ युवाओं का इसके प्रारम्भिक चरण में जुड़ाव जो ऊर्जा का पुंज है। वास्तव में अगर कुछ युवाओं को अगर यह योजना पशन्द नहीं तो उसका लोकतांत्रिक रीति से विरोध कर सकते थे। एक बात और सामने आती है यह विद्रोह वहीं अधिक हिंशक हुआ जहां सम्बंधित प्रकार के कोचिंग संस्थान अधिक थे। इससे यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि कुछ स्वार्थी कोचिंग संस्थान व दूषित मानशिकता के लोगों ने हिंशक विद्रोह में सम्मिलित युवाओं को दिग्भ्रमित किया होगा, जिससे कुछ युवा आक्रोशित हुए, लेकिन जिन युवाओं पर हम गर्व करते हैं और जिनके लिए यह योजना लागू की जा रही है क्या देश उनसे ऐसे व्यवहार की उम्मीद करता है? यह युवा वर्ग को गम्भीरता सोचना होगा। 

आजकल के परिवर्तनकारी विश्व व्यवथा में अगर आगे बढ़ना है तो हमको भी सकरात्मक परिवर्तन को अपनाना होगा। कोई भी योजना दीर्घकालिक अध्ययन के बाद धरातल पर मूर्त रूप लेती है और वह अंतिम भी नहीं होती परिवर्तन सतत प्रक्रिया है। यह योजना भी सेना के अनुसार बहुत सोच समझ कर बनाई गई। इस भर्ती से सेना के मूल रेजीमेंट प्रणाली में भी कोई परिवर्तन नहीं होने वाला है जैसी आशंका व्यक्त की जा रही है। सूचना के अनुसार राजपूत, सिक्ख, जाठ, मराठा आदि सभी रेजिमेंट में इस भर्ती से उनको सुयोग्य युवा वर्ग मिलने वाले हैं। पुनर्स्थापन की भी शानदार व्यवस्था भी सूचना के अनुसार होने वाली है। इग्नू ने इन अग्निवीरों के लिए स्नातक कोर्स की व्यवस्था कर रहा है। देश के उद्योग जगत ने अपने-अपने क्षेत्रों में इनको विभिन्न स्तर पर पुनर्वास की बात कर रहें हैं जैसा कि महेंद्रा ग्रुप के आनंद महेंद्रा, टाटा संस, फिक्की आदि की योजना से विदित हो रहा है। सरकार बैंको से सुविधाजनक ऋण आदि की व्यवस्था की बात कर रही है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अस्थायी रूप से सुधार अप्रिय लग सकते हैं लेकिन सुधार नए लक्ष्यों व नए संकल्पों की तरफ ले जाने वाले हैं। हालांकि उन्होंने अपने इस बक्तव्य मे स्प्ष्ट रूप से इस योजना का नाम नहीं लिया।

कभी-कभी हम किसी व्यक्ति, संस्थान, पार्टी, सरकार आदि के विरोध करते समय केवल नकरात्मक सोचने लगते हैं, जो सर्वथा अनुचित है। विगत कोरोना संकट में रोजगार संकट बढ़ा है, उसी क्रम में सशत्र बलों की भर्तियां भी प्रभावित हुईं हैं, वहीं सामाजिक और वैश्विक चुनौतियां भी बढ़ी हैं। देश मे बहुत से ऐसे युवा हैं जो इस अग्निपथ योजना से लाभान्वित होकर अपने और अपने परिवार की सेवा करते हुए अपने भविष्य को संरक्षित कर सशत्र बलों में भी उस उम्र में योगदान दे सकते हैं जिसके बाद जीवन के अग्रिम सोपान में सम्मानजनक तरीके से अपने बल पर प्रवेश पा सकते हैं। इसके लिए उनका कोई शोषण नहीं कर पायेगा और अधिकाधिक युवा वर्ग  इस योजना से लाभान्वित हो सकता है।इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले युवाओं को सकरात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा और अपने भविष्य का निर्माण करना होगा। 

राजेश कुमार सिंह ✍️

स्वतन्त्र स्तम्भकार

मो0-9415367383







  

   

    

    

 

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