आओ मिलकर विस्मिल हमीद के सपनों का खूबसूरत घरौदा बनाया जाए,
गिले-शिकवे मिटाकर, गले मिलकर, होली दिवाली ईद सब मनाया जाएँ,
दुश्मनी, दगाबाजी और नफरत के हर खंजर को हर दिल से मिटाया जाएं।
अब जख्म को जख्म से नहीं बल्कि प्यार-मुहब्बत से मिटाया जाएं।
खुली फिज़ाओं को गेंदा, गुलाब, गुड़हल केसर की खुशबूओं से महकाया जाएं।
मतलब परस्ती, दौलत परस्ती और शोहरत परस्ती सियासत को ख़ाक में मिलाया जाएं
अब ईमानपरस्ती, अमन परस्ती और वतनपरस्ती के गीत-गजल गुनगुनाया जाए।
जाति-धर्म, ऊँच-नीच, अमीर-गरीब रंग रूप नस्ल का तफ़रका मिट्टी में मिलाया जाएं,
समता, ममता, दया, करूणा, परोपकार की गंगा हर दिल में बहाया जाए।
प्यार-मुहब्बत के त्यौहार ईद, अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता
बापू स्मारक इंटर काॅलेज दरगाह मऊ।
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