यहां मोटे मर्दों की होती है सबसे ज्यादा इज्जत! तोंद बढ़ाने के लिए पीते हैं गाय का खून और दूध


अफ्रीका की जिस जनजाति के बारे में हम आपको बता रहे हैं, उसमें मर्द मोटे होने और उससे भी ज्यादा अपनी तोंद बढ़ाने के पीछे पागल रहते हैं. इस जनजाति में मोटे मर्दों को सुपरस्टार की तरह दर्जा मिलता है.

दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो अपनी मान्यताओं और रिवाजों के कारण चर्चा में रहते हैं. जैसे-जैसे शहरों का और आधुनिकता का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे कई रीति-रिवाज समाज से गायब होते जा रहे हैं मगर आज भी जंगलों और पिछड़े इलाकों में ऐसी जनजातियां मौजूद हैं जो पुरानी परंपराओं को संजोय रहते हैं. आज हम आपको ऐसी ही एक विचित्र परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं जो अफ्रीका की एक जनजाति पालन करती है. यहां के लोग गाय के दूध के साथ खून भी पीते हैं जिससे वो मोटे हो सकें.

जी हां, आपने सही पढ़ा. एक ओर जहां दुनिया के लोग पतले होने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, सिक्स पैक एब्स बनाकर स्मार्ट दिखना चाहते हैं वहीं दूसरी ओर अफ्रीका की जिस जनजाति के बारे में हम आपको बता रहे हैं यहां मर्द मोटे होने और उससे भी ज्यादा अपनी तोंद बढ़ाने के पीछे पागल रहते हैं. इस जनजाति में मोटे मर्दों को सुपरस्टार की तरह दर्जा मिलता है. इस जनजाति का नाम है बोदी जनजाति जो अफ्रीका के इथियोपिया में पाई जाती है.

गाय का खून और दूध पीती है जनजाति

ये जनजाति इथियोपिया की ओमो वैली के अंदरूनी इलाके में रहती है. यहां बेहद विचित्र मान्यता का पालन होता है. यहां के युवक गाय का खून और दूध मिलाकर पीते हैं जिससे वो मोटे हो सकें. खून पीने के लिए वो गाय को मारते नहीं हैं, बल्कि उनके शरीर में किसी नस को काटते हैं और उसका खून उसी गाय के दूध में मिलाकर पीते हैं. यहां जो मर्द ज्यादा तोंद बढ़ाते हैं उन्हें पूरी ट्राइब हीरो की तरह मानती है.

नए साल पर होता है खास उत्सव यहां नए साल पर कायेल नाम की एक सेरेमनी होती है. ये दरअसल, पुरुषों के बीच एक कंप्टीशन की तरह होता है जिसमें अविवाहित पुरुषों को खून और दूध का घोल पीना पड़ता है. कंप्टीशन में खड़े होने के लिए वो 6 महीने पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं. इस 6 महीने में वो ना ही किसी औरत के साथ संबंध बना सकते हैं और ना ही अपनी झोपड़ी से बाहर निकल सकते हैं. इस दौरान वो लगातार खून और दूध पीते रहते हैं. पहला प्याला 2 लीटर का होता है जो सूर्योदय के वक्त पिया जाता है. बाकी के प्याले पूरे दिन कभी भी पिए जा सकते हैं.

खास होता है नए साल पर कंप्टीशन

कंप्टीशन वाले दिन वो अपने शरीर को राख और मिट्टी से ढक लेते हैं और अपने मोटे शरीर को पूरे गांव के सामने दिखाते हैं और उछल-कूद कर अपना वर्चस्व स्थापित करते हैं. इसके अलावा पवित्र पेड़ों के वो घंटों तक चक्कर भी लगते हैं. इस बीच जज के तौर पर बुजुर्ग ये तय करते हैं कि पुरुषों में से कौन अव्वल और बेहतर परफॉर्म कर रहा है. फिर वो गाय की बली चढ़ाते हैं और उसकी आंत से अंदाजा लगाते हैं कि आने वाला साल कैसा होगा. जो शख्स जीतता है उसे गांव का सबसे मोटा आदमी मानकर साल भर उसकी तारीफ होती है.

साभार-news 18 india







Comments