बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य सभा जाना कहते हैं. उन्होंने अपनी इच्छा प्रकट करते हुए कहा है कि वह किसी दिन राज्य सभा जाना चाहेंगे. यदि नीतीश ऐसा करते हैं, तो वह बिहार के अन्य दो दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव और सुशील कुमार मोदी की बराबरी कर लेंगे. ये दोनों नेता संसद और विधान सभा के सभी सदनों के सदस्य रहे हैं.
नई भूमिका चाहते हैं नीतीश :
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि नीतीश कुमार ने बिहार विधान सभा में अपने कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वह कभी न कभी राज्य सभा जाना चाहेंगे. अब तक नीतीश बिहार विधान सभा, विधान परिषद और लोक सभा के सदस्य रह चुके हैं. 16 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे नीतीश की इस ‘इच्छा’ से संकेत मिलता है कि वह अब किसी नई भूमिका में खुद को देखना चाहते हैं. आगामी कुछ ही समय में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाले हैं. इस संदर्भ में उनका बयान मायने रखता है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि उपराष्ट्रपति राज्य सभा के सभापति होते हैं. लिहाजा नीतीश की राज्य सभा की इच्छा को इन चुनावों और उपराष्ट्रपति के पद से जोड़कर देखा जा रहा है.
पुराने लोक सभा क्षेत्र का दौरा :
नीतीश से जब पूछा गया कि इन दिनों जो वे अपने पुराने लोक सभा क्षेत्र बाढ़ का दौरा कर रहे हैं तो क्या आने वाले लोक सभा चुनाव में एक बार फिर नालंदा से उम्मीदवार हो सकते हैं? इस पर उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं और ये दौरा 2019 से प्रस्तावित था, लेकिन पिछले दो सालों में कोरोना के कारण संभव नहीं हो पाया. जब उनसे पूछा गया कि क्या राज्य सभा जाएंगे तो उन्होंने कहा कि ऐसी इच्छा है, लेकिन फिलहाल तो यहां की बागडोर की जिम्मेदारी है.
बयान से अटकलों को मिला बल :
नीतीश कुमार को लेकर पहले से यह अटकलें चल रही हैं कि उन्हें दिल्ली में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. नीतीश मुख्यमंत्री मंत्री पद के बदले कोई बड़ी जिम्मेदारी चाहते हैं. उपराष्ट्रपति का पद जल्द ही खाली होने वाला है, ऐसे में संभव है कि भाजपा उन्हें इस कुर्सी पर बैठाकर बिहार की कमान खुद संभाल ले. बता दें कि पिछले चुनाव में नीतीश की पार्टी को कम सीटें मिली थीं, जिसकी वजह से CM रहते हुए भी गठबंधन सरकार में उनका रुतबा पहले जैसा नहीं रहा है.
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