चाणक्य नीति : इन 3 चीजों की वजह से व्यक्ति को होना पड़ता है अपमानित, आज ही दें इन्हें त्याग


आचार्य चाणक्य ने एक नीति शास्त्र की रचना की है, जिसमें उन्होंने बताया है कि व्यक्ति को अज्ञानता के कारण अपने जीवन में कई बार अपमानित होना पड़ता है। साथ ही व्यक्ति को जवानी में अपनी एनर्जी को सही दिशा में लगाना चाहिए।

महान अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य ने एक नीति शास्त्र की रचना की है, जिसमें उन्होंने धन, संपत्ति, स्त्री, दोस्त, करियर और दांपत्य जीवन से जुड़ी कई बातों का गहराई से जिक्र किया है। चाणक्य जी ने अपनी नीतियों से हमेशा समाज का मार्गदर्शन किया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति आचार्य चाणक्य की नीतियों का अनुसरण करता है, वह अपने जीवन में खूब तरक्की हासिल करता है।

आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में व्यक्ति को अपमानित करने वाले कुछ विषयों के बारे में जिक्र किया है। जो कभी-न-कभी व्यक्ति को उसके जीवन में अपमानित करती हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार- 

कष्टं च खलु मूर्खत्वं कष्टं च खलु यौवनम्,

कष्टात् कष्टतरं चैव परगेहे निवासनम्।

अज्ञानता के कारण होना पड़ता है अपमानित : इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि अज्ञानता के कारण मनुष्य को अपने जीवन में कई बार अपमानित होना पड़ता है। व्यक्ति अगर अज्ञानी और मूर्ख है तो लोग उसे अच्छी दृष्टि से नहीं देखते। साथ ही कोई भी उससे बात करना पसंद नहीं करता और कोई उसका मान- सम्मान नहीं करता। अपनी मूर्खता के कारण कई बार अज्ञानी व्यक्ति ऐसा कुछ कर देते हैं, इसके कारण सबके सामने उसे अपमानित होना पड़ता है।

गुस्सा व्यक्ति का सबसे बड़ा होता है दुश्मन : आचार्य चाणक्य का मानना है कि जवानी में व्यक्ति के अंदर अधिक जोश होता है और कई परिस्थिति में वह अपने गुस्से को काबू में नहीं कर पाते। चाणक्य जी का मानना है कि क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है। साथ ही क्रोध में आकर व्यक्ति कई बार अनुचित कार्य कर बैठता है और वह गलत रास्तों पर भी भटक जाता है। जिसके कारण समाज में उन्हें मान और प्रतिष्ठा नहीं मिल पाती। इसलए जवानी में व्यक्ति को अपनी एनर्जी और जोश को सही दिशा में लगाना चाहिए ना कि अपने क्रोध से किसी को हानि पहुंचानी चाहिए। 

दूसरे पर नहीं होना चाहिए आश्रित : चाणक्य जी का मानना है कि जो व्यक्ति किसी दूसरे पर आश्रित होता है, उसे अपने जीवन में हर बार अपमानित होना पड़ता है। क्योंकि वह अपने दम पर कुछ नहीं कर सकता है। उसे हर काम में दूसरे का सहारा लेना पड़ता है और वह अपना फैसला कुछ नहीं ले पाता, जिस वजह से उसे समाज में कई बार अपमानित होना पड़ता है।



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