वैक्‍सीन लगवाने के बाद बच्‍चे को चढ़ा बुखार, तो न दें ये गोली, बढ़ सकती हैं मुश्किलें


कोरोना के संक्रमण से सुरक्षित रखने में वैक्सीन की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, कोरोना के गंभीर संक्रमण से सुरक्षित रखने में वैक्सीन हेल्पफुल है। भारत में 15-18 साल के बच्चों के लिए कोविड-19 का टीकाकरण 3 जनवरी, 2022 से शुरू हुआ है।

भारत में 3 जनवरी, 2022 से 15-18 वर्ष के आयु वर्ग के किशोरों के लिए कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है। इस फैसले से उन पैरेंट्स को राहत की सांस मिली है, जो कोरोना से सुरक्षा के लिए बच्चों की वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। बच्चों को पहले वैक्सीन के रूप में भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन लगाई जा रही है। हालांकि जब वयस्कों का टीकाकरण शुरू हुआ था, तो वैक्सीन लगवाने के बाद लगभग ज्यादातर लोगों को साइड इफेक्ट्स के रूप में बुखार, हाथ-पैर और शरीर में दर्द, कमजोरी और थकान की समस्या झेलनी पड़ी थी।

इसके कारण कुछ लोग वैक्सीन लगवाने के बाद पैरासिटामोल या पेनकिलर दवाइयां ले लेते हैं। इसलिए हर कोई यह जानना चाहता है कि क्या बच्चों को भी वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है क्या। हालांकि इस संबंध में हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन लगवाने से पहले या बाद में पेन किलर दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह दवाएं कई तरह से वैक्सीन के प्रभाव को घटा सकती हैं। हैदराबाद स्थित वैक्सीन निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने कहा है कि कोवैक्सिन का टीका लगने के बाद किशोरों को पैरासिटामोल या पेन किलर दवा लेने से बचना चाहिए।

बच्चों में कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट :

वयस्कों की तरह, किशोरों में भी टीकाकरण के बाद कुछ साइड इफेक्ट्स के मामूली लक्षण देखने को मिल रहे हैं जैसे- बुखार, सिरदर्द, इंजेक्शन देखकर घबराहट और दर्द, कमजोरी और थकान आदि। यदि हाथ में दर्द बना रहता है, तो दर्द को कम करने के लिए टीके की जगह पर साफ और ठंडा कपड़ा या बर्फ लगा सकते हैं।

इसके अलावा कुछ हल्के व्यायाम करने से भी आराम मिल सकता है।हालांकि, पैरेंट्स को बच्चे के व्यवहार में बदलाव या कुछ नए लक्षण दिखने पर ध्यान देना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों को खूब पानी पीने और संतुलित आहार जिसमें सब्जियां, विटामिन सी से भरपूर फल, हल्दी, लहसुन आदि शामिल हों, लेने की सलाह दी जाती है।

साथ ही 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेना जरूरी है, जिससे शरीर को आराम मिल सकें। कोरोना से बचाव के लिए बच्चों को मास्क पहनना, हैंड सैनिटाइजेशन करना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए।

भारत की हैदराबाद स्थित वैक्सीन बनाने वाली कंपनी "भारत बायोटेक" ने हाल में ही अपना आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा है कि 15 से 18 वर्ष के किशोरों को कोवैक्सिन का टीका लेने के बाद पैरासिटामोल या पेन किलर लेने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने अपने आधिकारिक बयान में यह कहा है कि, "हमारे क्लिनिकल ट्रायल्स के दौरान लगभग 30,000 व्यक्तियों पर परीक्षण किया गया था, जिसमें से लगभग 10 से 20 प्रतिशत व्यक्तियों ने साइड इफेक्ट की सूचना दी। हालांकि इनमें से ज्यादातर साइड इफेक्ट्स माइल्ड होते हैं और 1 से 2 दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं, जिसके लिए दवा लेने की जरूरत नहीं होती है।"

वैक्सीन निर्माता कंपनी ने अपने आधिकारिक बयान में यह भी कहा कि "हमें फीडबैक मिला है कि कुछ वैक्सीन केंद्र बच्चों को कोवैक्सिन का टीका लगने के बाद उन्हें पैरासिटामोल के 500 मिलीग्राम की तीन गोलियां लेने के लिए कह रहे थे।"जबकि पैरासिटामोल लेने की सिफारिश कोविड -19 के अन्य वैक्सीन टीकों के साथ की गई थी, लेकिन कोवैक्सिन का टीका लेने के साथ इसे रिकमेंडेड नहीं किया गया है।"

बयान में वैक्सीन लेने वाले बच्चों को डॉक्टर से परामर्श करने के बाद केवल उनके रिकमेंडेशन पर ही पैरासिटामोल लेने का सुझाव दिया गया है।

इस संबंध में डॉ. एन. के. मंडल, जनरल फिजिशियन, मंडल क्लीनिक, नोएडा का कहना है कि, "पैरासिटामोल को कोरोना का कोई भी वैक्सीन लेने से पहले और बाद में प्रोफिलैक्सिस के रूप में रिकमेंडेड नहीं किया जाता है। वैक्सीन लगवाने से पहले या बाद में पेन किलर दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह दवाएं कई तरह से वैक्सीन के प्रभाव को घटा सकती हैं। हालांकि वैक्सीन लगवाने के बाद 2-3 दिनों तक बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, शरीर में दर्द, थकान, टीका वाले स्थान पर दर्द होना कॉमन है, जो सामान्यतः बिना किसी दवा के अपने आप ही ठीक हो जाता है।

हां, यदि बुखार बना रहता है या उसकी तीव्रता बढ़ जाती है,तो डॉक्टर से सलाह के बाद पैरासिटामोल या अन्य दर्द निवारक दवा ले सकते हैं। इसलिए पैरासिटामोल को डॉक्टर से सलाह के बाद ही लिया जाना चाहिए न कि बुखार के लिए प्रोफिलैक्सिस के रूप में।"

साभार- नवभारत टाइम्स



Comments