दिल का सुना साज तराना ढूँढेगा,
मुझको मेरे बाद जमाना ढूंढेगा।।
ॠषियो मुनियों और सत्य के सच्चे साधकों की साधना भूमि वनअवध के महकते-चहकते आंगन में एक साधारण किसान परिवार में पैदा हुए विकास पुरुष कल्पनाथ ने अपनी कर्मठ्ता से अपनी कर्मभूमि को सजाने सवारने का प्रयास किया। होनहार वीरवानो और फ़ौलादी इरादा रखने वालों के समक्ष आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियाॅ कभी बाधा नहीं बन पाती हैं। छात्र जीवन से ही राजनीति के माध्यम से अपनी मातृभूमि की सेवा करने की विकास पुरुष की दृढ़ इच्छाशक्ति को आर्थिक और सामाजिक अड़चने रोक नहीं पाई। किशोरावस्था से ही बेहतर समाज और बेहतर देश बनाने का सपना अनगिनत स्वाधीनता संग्राम सेनानियों की मातृभूमि के सच्चे सपूत कल्पनाथ राय के मानसिक अंतरिक्ष में तैरने लगा था। सृजन, रचना, निर्माण, विकास, प्रगति, तरक्की और उन्नति जैसी समानार्थक संकल्पनाओं को कल्पनाथ राय ने महज एक मेधावी विद्यार्थी की तरह किताबों में ही नहीं पढा था बल्कि इन संकल्पनाओं को एक सच्चे कर्मयोगी भागीरथ की तरह जमीन पर उतारने अद्भुत और अनूठा प्रयास किया। भारतीय समाज और राजनीति जाति, धर्म, सम्प्रदाय, क्षेत्र और भाषा जैसी संकीर्णताओ के मकडजाल में बुरी तरह उलझी हुई है। इन समस्त संकीर्णताओं से उठकर कल्पनाथ राय ने सृजन रचना निर्माण और विकास की राजनीति को भारतीय राजनीति में स्थापित करने का उत्कट और प्रयास किया। निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि-कल्पनाथ राय ने भारत की राष्ट्रीय राजनीति को सृजन रचना निर्माण और विकास की दृष्टि से परिभाषित और परिमार्जित करने का सकारात्मक प्रयास किया। गोरखपुर विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति के माध्यम से राजनीति का ककहरा सीखने वाले कल्पनाथ राय के सीने में अपनी माटी की शानदार पहचान और दुनिया में सिरमौर बनाने की गहरी तड़प आजीवन बनी रही। इसके साथ आचार्य नरेन्द्र देव, डॉ. राम मनोहर लोहिया की समाजवादी पाठशाला में पले बढे कल्पनाथ राय के अंदर सत्ता की चौखटों से टकराने के लिए आवश्यक निर्भीकता और साहस कूट-कूट कर भरा था। समाजवादी पृष्ठभूमि होने के कारण कल्पनाथ राय अपने राजनीति के आरम्भिक दौर में सड़क के संघर्ष की राजनीति की रंगो रवायत में पूरी तरह से रंगे हुए थे। युवा तुर्क चन्द्रशेखर की तरह बगावत का तेवर और सड़क के संघर्ष की थाती लेकर कांग्रेस की राजनीति में कल्पनाथ राय ने प्रवेश किया था। खाँटी समाजवादी पृष्ठभूमि वाले इस बगावती तेवर के नेता ने कांग्रेस में प्रवेश करने के बाद सृजन रचना निर्माण और विकास की राजनीति को आत्मसात कर लिया। मन मस्तिष्क में सड़क के संघर्ष की स्मृतियों और सीने में सड़क के सवाल को लेकर सदन में फिर सदन से सत्ता की दहलीज तक पहुंचे कल्पनाथ राय ने अपनी मातृभूमि के विकास के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इतिहास साक्षी है कि-अधिकांश राजनेता सत्ता के गलियारों में पहुंचने के बाद सत्ता की चकाचौंध में बेसुध हो जाते है और राजधानी की रंगीनियों में डूब जाते हैं। इसके विपरीत देशज बोल-चाल में खर-खर स्वभाव के कल्पनाथ राय ने अपनी मातृभूमि और अपनी मातृभूमि के लोगों को अपने मानस पटल से कभी ओझल नहीं किया और सत्ता की दहलीज पर पहुंचने के बाद अपने गृह जनपद के कायाकल्प का दृढ निश्चय लिया। स्वाधीनता उपरांत सर्वाधिक उपेक्षित पूर्वांचल के सर्वाधिक पिछडे़ जिले मऊ के जन्मदाता कल्पनाथ राय ने मऊ जनपद के हर आंगन-चौखट की खुशहाली और हर खेत खलिहान की हरियाली के लिए जो साॅचा ढाँचा और खाॅचा बनाया और उसके लिए आखिरी सांस तक जो भागीरथी प्रयास किया वह अविस्मरणीय और अकल्पनीय है। विकास पुरुष ने अपनी दृढ इच्छाशक्ति और फ़ौलादी इरादों से किसी भी झंडे की सरकार से लड झगड कर जनपद को तरक्की और उन्नति की चमकती-दमकती रोशनाई से सराबोर करने के लिए जिन परियोजनाओं को धरातलीय आकार और आयाम दिया उसके आसरे जनपद की हर आंखों ने अपने सुनहरे भविष्य के स्वप्न संजोए। विकास पुरुष ने अपनी प्रतिभा परिश्रम और पुरुषार्थ से जनपद ही नहीं पूरे पूर्वांचल में सृजन रचना निर्माण और विकास की जो दीपशिखा प्रज्ज्वलित की उससे पूर्वी उत्तर प्रदेश में सृजन रचना निर्माण और विकास की बयार बहने लगी। जिससे हर हृदय को अपनी हर कल्पनाओं को साकार करने का सर्वश्रेष्ठ अवसर मिला। नई पहचान के साथ पूरा जनपद गौरवान्वित और हर्षित हुआ, उम्मीदो को नए पंख लग गए और पूरा जनपद राष्ट्रीय फलक पर सृजन रचना निर्माण और विकास की प्रतियोगिता और प्रतिस्पर्धा में सीना तान कर खड़ा होने लगा। किसान मजदूर मजलूम बुनकर व्यापारी और नौजवानों की आँखों में बेहतर जिन्दगीं के ख्वाब पलने लगें। वास्तविक विकास के लिए आधारभूत संरचनाओं का जाल बिछाना आवश्यक होता हैं। छात्र जीवन से ही संघर्षशील होने के साथ-साथ उच्चकोटि के शिक्षर्थी होने के कारण कल्पनाथ राय के अंदर यह दूरदर्शिता दूर दृष्टि और समझदारी भलीभाँति विकसित हो चुकी थी। अपनी इसी दूरदर्शिता दूर दृष्टि और समझदारी का परिचय देते हुए कल्पनाथ राय ने सड़क परिवहन उर्जा और संचार जैसी आधारभूत संरचनाओं को जनपद में स्थापित करने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगा दिया। देश के दूर-दराज क्षेत्रों से जनपद का बेहतर सम्पर्क स्थापित करने के लिए मेट्रोपोलिटन शहरों के प्रारूप का रेलवे जंक्शन का निर्माण कराया तथा मुम्बई कोलकाता चेन्नई दिल्ली इत्यादि शहरों के लिए जाने वाली प्रमुख रेलगाड़ियों का मऊ जंक्शन से गुजरना सुनिश्चित कराया। यातायात सम्बन्धी असुविधाओं को ध्यान में रखते हुए शहर के चारों तरफ़ ओवरब्रिज का निर्माण, जगह जगह दर्जनों विद्युत उपकेन्द्रो का निर्माण, किसानों की आमदनी को बढाने के लिए घोसी में सहकारी चीनी मिल की स्थापना, अत्याधुनिक तकनीक और सुविधाओं से परिपूर्ण तथा शोध संस्थान सरीखा सदर अस्पताल का निर्माण, आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी पर आधारित कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कुसमौर में गन्ना और कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना, विदेशी सैलानियों के ठहरने लायक तथागत जैसे होटलों का निर्माण तथा मधुबन के शहीदों की स्मृति में शानदार शहीद पथ सहित दर्जनो शानदार सड़को का निर्माण कल्पनाथ राय की विकास गाथा का जीता जागता प्रमाण है।
उपर देश के मशहूर गीतकार असद भोपाली का लिखा गीत 4 जनवरी को पूरा पूर्वांचल गुनगुनाने लगता है। चार जनवरी जब जब आता है तो हर हृदय विकास पुरुष के जन्मदिन को बडे उल्लास के साथ मनाता है। हर व्यक्ति के हृदय से यह आवाज़ आती हैं कि-फिर से विकास पुरुष वन अवध की माटी में अवतरित हो जाते। इस तडप के साथ विकास पुरुष के जन्मदिन पर देशवासियों को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं.....
मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता
बापू स्मारक इंटर कॉलेज दरगाह मऊ।
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