आचार्य चाणक्य ने उन लोगों के बारे में भी बताया है जिनसे दोस्ती बिल्कुल नहीं करना चाहिए। क्योंकि आने वाले समय में यह आपकी बर्बादी का कारण बन सकते हैं।
आचार्य चाणक्य का नाम भारत के महानतम लोगों में शामिल है। आचार्य चाणक्य की नीतियों का जो व्यक्ति पालन करता हैं वह कभी भी असफल नहीं हो सकता है। इसी तरह आचार्य चाणक्य ने उन लोगों के बारे में भी बताया है जिनसे दोस्ती बिल्कुल नहीं करना चाहिए। क्योंकि आने वाले समय में यह आपकी बर्बादी का कारण बन सकते हैं।
श्लोक :
दुराचारी च दुर्दृष्टिर्दुराऽऽवासी च दुर्जनः।
यन्मैत्री क्रियते पुम्भिर्नरः शीघ्र विनश्यति॥
अर्थ :
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा है कि दुराचारी, दुष्ट स्वभाव वाला, बिना किसी कारण दूसरों को हानि पहुंचाने वाला और दुष्ट व्यक्ति से मित्रता रखने वाला श्रेष्ठ पुरुष भी शीघ्र ही नष्ट हो जाते है क्योंकि संगति का प्रभाव सामने वाले पर जरूर पड़ती है।
आचार्य चाणक्य ने अपने इस श्लोक में कहने की कोशिश की है कि किस तरह के लोगों को कभी मित्र नहीं बनाना चाहिए। जीवन में हर किसी को दोस्त बनाने पड़ते हैं, जिसमें से कुछ दोस्त ऐसे होते हैं जो आपके साथ हमेशा खड़े रहते हैं। वहीं कई ऐसे भी होते हैं जो काम के वक्त सबसे पहले धोखा देते हैं। लेकिन कई बार हम सही और गलत मित्र पर फर्क नहीं कर पाते हैं। ऐसे में अगर आप दुराचारी, दुष्ट स्वभाव वाला या दूसरों को हानि पहुंचाने वाले व्यक्ति से मित्रता हो गई तो आपके लिए भविष्य में खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि ऐसे मित्रों के साथ रहने से उनके स्वभाव का असर आपके ऊपर भी पड़ेगा। ऐसे में आप भी उसकी तरह दुष्ट प्रवृत्ति के हो सकते हैं। इसलिए ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहे तो बेहतर है।
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